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WHO COVID डेटाबेस में हैं कई ‘खामियों भरे जर्नल्स’, जिसमें 70 पेपर भारतीयों के हैं

-द प्रिंट, सैकड़ों शोध पत्र, जिसमें से भारत के कम से कम 70 शोध पत्र जो प्रिडेटरी या खामियों भरे जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड विज्ञान प्रकाशनों के वैश्विक शोध पत्र में शामिल हो गए हैं. डब्ल्यूएचओ अब इन शोध पत्र की जांच कर रहा है. एक एजेंसी जो ‘कोरोनावायरस बीमारी पर वैश्विक साहित्य’ की एक सूची रखती है, जिसमें दुनिया भर से 30 लाख से अधिक...

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थकावट, सूंघने की क्षमता में कमी, फेफड़ों की दिक्कत- नई स्टडी में कोविड से लंबे समय तक रहने वाले 55 प्रभावों की हुई पहचान

-द प्रिंट, कोरोनावायरस पर मौजूदा अध्ययनों की समीक्षा करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के बाद इसके 55 ऐसे प्रभाव होते हैं जो लंबे समय तक शारीरिक कष्ट का कारण बनते हैं. बीमारी से उबरे लोगों में थकावट महसूस होना एक प्रमुख लक्षण है. जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित होने वाले एक अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने करीब 18,251 पब्लिकेशन को खंगाला और इनमें से 15 अध्ययनों को अंतिम विश्लेषण के लिए...

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ऑक्सीजन की कमी से हुईं मौतों का डेटा सरकार के पास नहीं, अब लोग ही जुटा रहे आंकड़े

-कारवां,  24 अप्रैल 2021 की अल सुबह एरिक मैसी को दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल से एक फोन आया. उन्हें बताया गया कि सांस रुक जाने के चलते उनकी 61 वर्षीय मां डेल्फिन मैसी की मौत हो गई है. डेल्फिन को सप्ताह भर पहले कोविड-19 के गंभीर लक्षणों के चलते अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. जिस सुबह उनकी मौत हुई एरिक उनके शव को लेने अस्पताल गए और देखा...

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COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!

मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...

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यूनेस्को साइंस रिपोर्ट 2021: रिसर्च और टेक्नोलॉजी डेवल्पमेंट भारत का भविष्य तय करेगी!

वैज्ञानिक ज्ञान ने भयानक कोरोनावायरस और इसके प्रसार से निपटने में बहुत मदद की है. रिकॉर्ड कम समय के भीतर, वैज्ञानिकों (वायरोलॉजिस्ट, एपिडेमियोलॉजिस्ट, बायोस्टैटिस्टियन, आदि सहित) और उनके शोध परिणामों ने आम लोगों को यह जानने में मदद की कि SARS-CoV-2 क्या है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है. आम लोगों को अब यह पता चल गया है कि कैसे सरल तकनीक और व्यवहार में...

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