हालिया चुनावों के नतीजों के साथ ही दो कद्दावर महिला मुख्यमंत्रियों (जयललिता और ममता बनर्जी) ने तमाम ऐतिहासिक साक्ष्यों को नकारते हुए दोबारा अपनी राजनैतिक ताकत का लोहा मनवा लिया। गुजरात में आनंदीबेन की कुर्सी फिलवक्त तो सुरक्षित लगती ही है। अब यदि उत्तर प्रदेश में भी अगले बरस बहिन मायावतीजी फिर सत्ता में आ जाती हैं, तो देश के चार महत्वपूर्ण राज्यों की कमान ताकतवर महिला मुख्यमंत्रियों के हाथों...
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टैक्स हेवन के खिलाफ अर्थशास्त्रियों ने उठाई आवाज
लंदन। दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों ने कर चोरी के सुरक्षित ठिकानों (टैक्स हेवन) के खिलाफ आवाज उठाई है। तीन सौ अर्थशास्त्रियों ने एक पत्र में वैश्विक नेताओं से कर चोरी की इस व्यवस्था का बहिष्कार करने की अपील की है। ब्रिटेन में प्रस्तावित भ्रष्टाचार रोधी सम्मेलन और पनामा पेपर्स लीक मामले को देखते हुए इस पत्र के महत्व को समझा जा सकता है। कर देने से बचने के लिए आमतौर पर...
More »मजदूर होने का मतलब- डा अनुज लुगुन
अभी कुछ दिन पहले ही कोलकाता में ओवरब्रिज के गिरने से 22 लोगों के मरने की खबर आयी थी. मरनेवालों में ज्यादातर मजदूर थे. इनमें से एक उत्तर प्रदेश निवासी शंकर पासवान भी था, जो मोटिया का काम करता था. वह होली में अपने घर इसलिए नहीं गया, ताकि वह कुछ दिन और काम करके बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे जमा कर सके. यह हमारे देश के मजदूरों...
More »सूखा और जल संसाधन प्रबंध-- बिभाष
महाराष्ट्र फिर सूखे के चपेट में है. बुंदेलखंड पहले से ही समाचारों में बना हुआ है. खेती और किसानों को लेकर रोज बुरी खबरें आ रही हैं. महाराष्ट्र में पानी की कमी का लगातार तीसरा साल है. बुंदेलखंड में भी सूखे का चौथा साल चल रहा है. खेती बुरी तरह से संकट में है. दरअसल, पूरा मामला जल और भूमि के कुप्रबंध का है. देश में हर साल कहीं...
More »मिलावटी दूध की बहती गंगा - भवदीप कांग
शुरुआत इसी विरोधाभासी तथ्य से करें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है! पिछले पंद्रह वर्षों में भारत में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है। अब यह 322 ग्राम प्रतिदिन है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब भारत में दूध की मांग व आपूर्ति का तंत्र अच्छी तरह विकसित हो चुका है तो हम मिलावटी दूध पीने को मजबूर क्यों हैं?...
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