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सीरिया की प्रयोगशाला-अख़लाक, अहमद उस्मानी

जनसत्ता 3 अप्रैल, 2013: ‘अल्लाह, सूरीया, बशारू बस।’ सीरिया की पश्चिमी सरहद पर अलकतीना झील के किनारे बसे शहर हम्स में झूमते युवा अलकोर्निश मार्ग पर यही गा रहे थे। एक लय में उठते इस नारे को मैं अपने सीमित अरबी भाषा के ज्ञान के आधार पर समझ सकता था। वे कह रहे थे कि ‘हमारे लिए अल्लाह, सीरिया देश और हमारा नेता बशर अल असद काफी है’। इसी सड़क पर बने...

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कब आएगा भाषाई स्वराज- गिरिराज किशोर

जनसत्ता 22 मार्च, 2013: भाषा के प्रश्न को राजनीति के पुरोधाओं ने इस देश का रिसता नासूर बना दिया। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा संबंधी नियमावली में संशोधन ने उस नासूर में फिर नश्तर लगा दिया। गांधीजी जानते थे कि भाषा का सवाल इस मुल्क की दुखती रग हमेशा बना रहेगा। शायद इसीलिए उन्होंने 1909 में ‘हिंद स्वराज\' में अपने स्वभाव के बरखिलाफ सख्त चेतावनी दी थी कि...

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अपनी भाषाओं का विस्थापन-मृणालिनी शर्मा

जनसत्ता 12 मार्च, 2013: आखिर संघ लोक सेवा आयोग पर अंग्रेजी का झंडा फहर ही गया। 2013 में संघ की भारतीय प्रशासनिक और अन्य केंद्रीय सेवाओं में भर्ती के लिए सिविल सेवा परीक्षा के रूप में होने वाली संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा से भारतीय भाषाओं का परचा आखिर गायब हो गया। यों इसकी शुरुआत 2011 में ही प्रारंभिक परीक्षा (नया नाम: अभिक्षमता परीक्षण उर्फ एप्टिट्यूट टेस्ट) में कर दी...

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पेशेवर दक्षता बनाम संघर्ष- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 17 अक्टुबर, 2012: भूमंडलीकरण का दौर शुरू होने के बाद, कई दूसरे कामों में लगे लोगों का राजनीति में वर्चस्व बढ़ा है। राजनीति में पहले किसी राजनीतिक संगठन का कार्यकर्ता होने की शर्त होती थी। अलबत्ता कुछेक दूसरे पेशों के लोग भी राजनीति में अपना प्रभाव रखते थे। इनमें खासकर वकील होते थे। लेकिन उनकी राजनीतिक सक्रियता कार्यकर्ताओं और राजनीतिक संस्कृति के दबाव में रहती थी। राजनीतिक संस्कृति से तात्पर्य उस...

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मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण

मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण सरकार की वेबसाइटों पर हिंदी की घोर उपेक्षा दिखाई देती है। हिंदी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग व संस्थान के साथ संसद की वेबसाइटों के एक सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि सरकार को हिंदी की कतई परवाह नहीं हैं। सर्वेक्षण में शामिल वेबसाइटों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि हिंदी भाषियों के एक भी मुकम्मल सरकारी वेबसाइट...

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