वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जिस तरह जनगणना के जातिवार आंकड़ों के बारे में तत्काल सफाई दी और उसे लगभग ठंडे बस्ते में डाल दिया, उसके पीछे बड़ा कारण बिहार विधानसभा का चुनाव था। अब बिहार में जातिवार जनगणना के आंकड़ों की मांग बड़ा चुनावी मुद्दा बन गई है। कई लोग यह भी कहने लगे हैं कि जरूरी नहीं कि जातिवार आंकड़ों की मांग लालू-नीतीश की जोड़ी को फायदा पहुंचाए और...
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कराहते करघे अब करुण कहानी भर हैं-- अमितांशु पाठक
अभी कुछ ही दिन हुए, जब वाराणसी में फाकेहाली से हताश एक बुनकर दंपति ने अपनी तीन बच्चियों की हत्या कर दी। पर विदर्भ के किसानों की आत्महत्या की तरह बनारस के बुनकरों की आर्थिक तंगी, बेकारी, गरीबी और कुपोषण को मीडिया में सुर्खियां नहीं मिल सकीं। इसलिए दुनिया भर में फैले बनारसी साड़ियों के शौकीन नहीं जानते कि यहां अनेक बुनकर परिवारों को दो जून का भरपेट भोजन और...
More »बेपटरी होता हमारा रेल बंदोबस्त - अरविंद कुमार सिंह
कामायनी और जनता एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने से हुई भीषण दुर्घटना ने एक बार फिर से रेल सुरक्षा की दयनीय दशा पर देश का ध्यान खींचा है। रेलवे इसका प्रथमदृष्टया कारण भारी बारिश से आई बाढ़ बता रहा है। राहत और बचाव का काम यहां और दुर्घटनाओं की तुलना में बेहतर रहा। स्थानीय ग्रामीणों और राज्य सरकार ने काफी चुस्ती दिखाई, अन्यथा मौतों का आंकड़ा अधिक होता। हादसा...
More »खेती का खेल निराला मेरे भइया- राजेन्द्र तिवारी
देश के करीब 75 फीसदी परिवार कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं. देश की लगभग 70 प्रतिशत गरीब आबादी (विश्व बैंक के मुताबिक 77 करोड़ लोग) गांव में बसती है. लेकिन देश के जीडीपी में कृषि का हिस्सा लगातार गिरता जा रहा है. 50 के दशक में कृषि की हिस्सेदारी हमारी जीडीपी में 50 फीसदी से ज्यादा थी, 90 के दशक में यह 20 से 30 फीसदी रह गया और 2013-14...
More »एक रुपए खर्च नहीं और खुले में शौच से मुक्त हो गए 69 गांव
हरदा (मध्यप्रदेश)। ऑपरेशन मलयुद्घ (खुले में शौच से मुक्ति) से हरदा जिले की 39 पंचायतों के 69 गांव खुले में शौच के कलंक से मुक्त हो गए। अब अगले छह माह में पूरे जिले की 213 पंचायतों को भी इस कलंक से मुक्ति दिलाने के लिए अभियान छेड़ा जाएगा। इसे सफल बनाने के लिए न तो एक रुपए का अलग से बजट खर्च किया गया और न ही श्रेय लूटने...
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