भोपाल. केस-1 भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने सूचना के अधिकार के तहत भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में मरीजों को दी जा रही दवा व स्टाफ के बारे में जानकारी मांगी। उन्होंने गोविंदपुरा एसडीएम कार्यालय के मार्फत आवेदन लगाए थे। बीएमएचआरसी प्रशासन ने एसडीएम वृंदावन सिंह को लिखित में आरटीआई कानून लागू न होना बताकर जानकारी देने से इनकार कर दिया। केस-2 गैस पीड़ित...
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खाप पंचायतों को सुप्रीम कोर्ट का झटका
हरियाणा. हिंदू मैरिज एक्ट में बदलाव की मांग कर रही खाप पंचायतों को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है। कोर्ट ने सोमवार को इस संबंध में दायर जनहित याचिका की सुनवाई से इनकार कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने इसे पेचीदा मामला बताते हुए खाप पंचायतों से पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट जाने को कहा है। जस्टिस दीपक वर्मा और के.एस. राधाकृष्णनन की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि यह विषय हाईकोर्ट के...
More »क्यों छिपाया गया एमआईसी का एंटी डोज
भोपाल। एमआईसी गैस का प्रभाव नष्ट करने वाली दवा फैक्ट्री में मौजूद होने के बाद भी यूनियन कार्बाइड प्रबंधन ने आम लोगों को इसका लाभ नहीं दिया। जबकि फैक्ट्री की डिस्पेंसरी में त्रासदी की रात लगभग पांच सौ प्रभावितों का उपचार हुआ था और उनमें से किसी की भी मौत नहीं हुई। दूसरी ओर शहर के अन्य अस्पतालों में लोग तड़प तड़पकर मौत के मुंह में पहुंच गए। यूनियन कार्बाइड...
More »कानून मंत्री से उलझे देश के पूर्व न्यायाधीश
नई दिल्ली। भोपाल गैस त्रासदी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले सोमवार को इस मसले पर अदालत ने जब आरोपियों को सिर्फ दो साल की सजा सुनाई तो जैसे हर किसी के ज्ञान चक्षु खुल गए। ताजा संदर्भो में यह पुरानी जानकारी हर किसी तक पहुंची कि गैस कांड का मुकदमा कमजोर कर दिया गया था। शनिवार को इसी मुद्दे पर देश के कानून मंत्री वीरप्पा...
More »25 साल बाद यह कैसा इंसाफ!
नई दिल्ली [विष्णु गुप्त]। महत्वपूर्ण यह नहीं है कि भोपाल गैस काड के आठ अभियुक्तों को न्यायालय ने दोषी ठहराया है, उन्हें दो-दो साल की सजा सुनाई है या अब भोपाल गैस काड के पीड़ितों को न्याय मिल ही गया। अहम यह है कि भोपाल गैस काड के अभियुक्तों को दंडित करने में 25 साल का समय क्यों और कैसे लगा? न्याय की इतनी बड़ी सुस्ती और कछुआ चाल। क्या गैस...
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