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असमानता की खाई पाटने का अवसर : हर्ष मंदर

खाद्य सुरक्षा विधेयक में भारत के लाखों गरीबों और वंचितों की नियति बदलकर रख देने की क्षमता है। दो साल चली बहस के बाद केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दी। खबरों से पता चला है कि प्रस्तावित कानून के संबंध में स्वयं कैबिनेट मंत्रियों की धारणाएं अलग-अलग थीं। इस पर हुई बहस में भारत में व्याप्त असमानता की संस्कृति की झलक भी मिली। यह भी पता चला कि इस कारण...

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असमानता की खाई पाटने का अवसर : हर्ष मंदर

खाद्य सुरक्षा विधेयक में भारत के लाखों गरीबों और वंचितों की नियति बदलकर रख देने की क्षमता है। दो साल चली बहस के बाद केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दी। खबरों से पता चला है कि प्रस्तावित कानून के संबंध में स्वयं कैबिनेट मंत्रियों की धारणाएं अलग-अलग थीं। इस पर हुई बहस में भारत में व्याप्त असमानता की संस्कृति की झलक भी मिली। यह भी पता चला कि इस कारण...

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कृषि पर खर्च होंगे डेढ़ लाख करोड़

पटना : सूबे में कृषि के विकास पर 2012 से 2017 तक एक लाख 52 हजार 511 करोड़ रुपये खर्च होंगे. मंगलवार को कृषि कैबिनेट की पांचवीं बैठक में कृषि रोड मैप के एजेंडे और खर्च होनेवाली राशि तय की गयी. पांच वर्षो में 60 हजार करोड़ अतिरिक्त खर्च करने की सहमति बनी. साथ ही कृषि कैबिनेट में शिक्षा विभाग को भी शामिल कर लिया गया है. उच्च व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों...

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गुम होते बच्चों की फिक्र किसे है- अजय सेतिया

जनसत्ता 14 दिसंबर, 2011:  पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक अत्यंत गंभीर विषय पर चर्चा हुई। विषय था, देश में बच्चों के अपहरण की बढ़ रही घटनाएं। विषय की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बच्चों के अपहरण पर शोध आधारित पुस्तक का विमोचन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अल्तमस कबीर खुद मौजूद थे। इस गंभीर समस्या का सनसनीखेज खुलासा 1996...

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भ्रष्टाचार के रास्ते- कुमार प्रशांत

जनसत्ता 13 दिसंबर, 2011:  जयप्रकाश नारायण ने 1974 में, जब वे कई सारे सवालों के साथ-साथ भ्रष्टाचार का भी सवाल उठा कर सारे देश में आंदोलन खड़ा करने में लगे थे, एक गहरा और मार्मिक लेख लिखा था। इसका शीर्षक था:‘क्या नैतिक ताने-बाने के बिना भी कोई देश बना रह सकता है?’ इसमें उन्होंने मुख्य रूप से दो बातें कही थीं। एक,भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की तरफ चलता है। सत्ता-संपत्ति-अधिकार...

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