कभी-कभी बड़ी सुर्खियों के पीछे महत्वपूर्ण खबरें छिप जाती हैं। कुछ दिन पहले एक खबर छपी थी कि मोदी सरकार के मंत्रिमंडल ने यह फैसला लिया है कि फौजदारी कानून की धारा 498-ए के तहत दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर आरोपी या आरोपियों को गिरफ्तार न करके यह कोशिश की जाएगी कि दोनों पक्षों के बीच समझौता किया जाए। इसके पीछे तर्क यह दिया गया है कि इस...
More »SEARCH RESULT
याराना पूंजीवाद का खेल- धर्मेन्द्रपाल सिंह
एक ओर मामूली चोरी के आरोप में देश भर की जेलों में हजारों कैदी बरसों से सड़ रहे हैं, दूसरी तरफ जनता को अरबों रुपए का चूना लगाने वाले कॉरपोरेट जगत के सफेदपोश अपराधी छुट््टा घूम रहे हैं। खुली अर्थव्यवस्था का यह कड़वा सच जगजाहिर है। इस सच के साथ कुछ अपवाद भी जुड़े हैं। ‘सत्यम कंप्यूटर्स' के संस्थापक और उसके पूर्व प्रमुख बी रामलिंग राजू का मामला अपवाद की...
More »जारी है सरकार और एनजीओ के बीच की रस्साकशी
अरविंद दुबे. नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के बाद से सिविल सोसाइटी के काम करने के तौर-तरीकों की नए सिरे से समीक्षा हो रही है। ताजा मामला गैर सरकारी संगठन फोर्ड फाउंडेशन का है, जिसे निगरानी सूची में डाल दिया गया है। स्पष्ट है विदेशी फंडिंग से चलने वाले कई स्वयंसेवी संगठनों के लिए राह अब आसान नहीं रह गई है। 'सरकार बनाम एनजीओ' रस्साकशी के बीच यह जानना अहम...
More »राजनीतिक दलों में दलितों को लुभाने की होड़ - शिवानंद तिवारी
यह सबने देखा कि पिछले दिनों करीब-करीब सभी दलों में आंबेडकर जयंती मनाने को लेकर किस कदर होड़ रही। इस होड़ ने यही साबित किया कि दलित वोट की महत्ता आज पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गई है। दलितों को मतदान का अधिकार तो शुरू से ही है, लेकिन समाज में अपनी दयनीय स्थिति और राजनीतिक चेतना के अभाव में दलित समाज अपने इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं...
More »इंसाफ की डगर पर कितने कोस?- चंदन श्रीवास्तव
आज से साढ़े पांच साल पहले ग्राम न्यायालय एक्ट 2008 अमल में आया था. इसको लेकर देश के सत्ता-वर्ग ने उम्मीदों की हवा कुछ ऐसी बांधी थी, मानो अब गांवों में रामराज्य आने ही वाला है. कहा गया था कि अब देश में हर किसी को न्याय मिल सकेगा, क्योंकि यह एक्ट बनाया ही गया है निर्धन और ग्रामीण जनता को उसके दरवाजे पर पहुंच कर इंसाफ देने के लिए....
More »