भोपाल। मप्र को बीमारू राज्य कहने वालों को इस विषय पर दोबारा सोचने की जरूरत है। कारण प्रदेश में हर साल बढ़ते करोड़पति व्यापारियों के अलावा नेताओं, अफसरों और उद्योगपतियों के यहां से मिल रही करोड़ों की अनुपातहीन संपति को देखकर नहीं लगता कि प्रदेश बीमारू राज्य है। आयकर विभाग के छापों ने प्रदेश के कई लोगों की पोल खोल दी है। पिछले तीन साल में ही आयकर छापों में करीब छह सौ करोड़...
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हमारी खेती अमेरिका से अच्छी- वंदना शिवा
वंदना शिवा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खेती के सवाल पर लगातार लड़नेवाली लड़ाका हैं. वे इंटरनेशनल फोरम आन ग्लोबलाईजेशन की सदस्य हैं. उनसे एक महत्वपूर्ण बातचीत.विस्फोट डाट कॉम से साभार) दूसरी हरित क्रांति की बात हो रही है. आपकी असहमति और सहमति किसरूप में रेखांकित होती है? मैंनेजब 1984 में हरित क्रांति का विरोध शुरू किया था तो इसके पीछे एक मकसद था। कहा जाताथा कि पंजाब में हरित क्रांति से...
More »बिचौलिए की भेंट चढ़ी आवास योजना
लातेहार। लातेहार जिले में गरीब असहाय लोगों के लिए बनाए जा रहे इंदिरा आवास योजना व इंदिरा आवास उत्क्रमण योजना का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। गरीब असहाय आज भी पंचायत सेवक के पीछे-पीछे घूमने को विवश है। हालांकि, वित्तीय वर्ष 09-10 में 3944 इंदिरा आवास का निर्माण व 524 के उत्क्रमण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से सिर्फ 744 का नवनिर्माण हुआ है व 351 का उत्क्रमण सरकारी आंकड़े के...
More »अपने ही सर्वेक्षण में उलझा खाद्य आपूर्ति विभाग
पटना पंचायतवार बीपीएल, अंत्योदय परिवार को अनाज और एपीएल परिवारों को दिये जानेवाले केरोसिन कूपन के लिए हुए सर्वेक्षण के आंकड़े विवादित हो गये हैं। जिला आपूर्ति पदाधिकारियों से विभाग ने बार कोडेड कूपन की छपाई के लिए यह आंकड़ा मांगा था। मालूम हो कि अब तक ग्रामीण विकास विभाग द्वारा उपलब्ध संख्या के आधार पर ही बीपीएल,अंत्योदय परिवारों के लिए कूपन की छपाई होती रही है। जिलों से आए विभागीय आंकड़े और ग्रामीण विकास विभाग...
More »तारों की ओढ़नी, भूमि का बिछौना
जम्मू [अंचल सिंह]। राज्य में ऐसे परिवारों की कमी नहीं जो तारों की ओढ़नी और भूमि का बिछौना बनाकर सोते हैं। केवल इस आस में कि कभी तो केंद्र की योजनाएं जमीनी स्तह पर पहुंचेंगी और उन्हें भी छत मुहैया होगी, लेकिन गरीबों और उनके आशियाने के बीच 'राजनीतिक पहुंच' आड़े आ रही है। जम्मू-कश्मीर में करीब चार हजार परिवार ऐसे हैं जिनके सिर पर छत नहीं। कोई झोपड़पट्टी में तो कोई खुले में...
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