-फसल क्रांति, रबी 2020-21 सीजन के दौरान 02.05.2020 तक 2,682 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य पर 2,61,565 मीट्रिक टन दलहन और 3,17,473 मीट्रिक टन तिलहन की खरीद की गई है जिससे 3,25,565 किसान लाभान्वित हुए हैं। इनमें से 14,859 मीट्रिक टन दलहन और 6706 मीट्रिक टन तिलहन की खरीद 1 और 2 मई, 2020 को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे छह राज्यों में की गई। इसके...
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कोरोना संकट में मज़दूरों को ग़ुलामों में बदलता पूंजीवाद
-न्यूजक्लिक, जब 7 मई की रात को यह लेख लिखा जाने लगा कि किस तरह वर्तमान में कोरोना संकट के दौर में पूँजीवाद का घिनौना चेहरा बेनकाब हो रहा है और प्रवासी मज़दूर बंधुआ मज़दूरों में बदल रहें है तो लिखते लिखते घर लौटते हुए प्रवासी मजूरों की मृत्यु के आंकड़े खोजने के चक्कर में यह अधूरा रह गया। फिर सोचा कि लेख अगले दिन पूरा होगा परन्तु जब सुबह हुई...
More »कोरोना वायरस से जुड़ी भ्रांतियों के कारण, हजारों छोटे महिला मुर्गीपालक किसानों को व्यवसाय में हुआ घाटा
-विलेज स्कवायर, कुंती धुर्वे, मध्य प्रदेश में होशंगाबाद जिले के केसला प्रशासनिक ब्लॉक के जामुंडोल गांव की एक लघु स्तरीय मुर्गी-उत्पादक हैं। केसला के कुल 15,000 परिवारों में से, लगभग 9,000 आदिवासी परिवार हैं। लगभग 13% अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखते हैं। कुंती धुर्वे 2001 में गठित एक सहकारी समिति, केसला पोल्ट्री सोसाइटी की अध्यक्ष भी हैं। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद और बैतूल जिले के 47 गाँवों के आदिवासी और दलित समुदायों...
More »अकेले वर्षावन ही नहीं, दुनिया के सभी जंगलों को बचाना है जरुरी: वैज्ञानिक
-डाउन टू अर्थ, एक नए अध्ययन से पता चला है कि अकेले वर्षावन में ही नहीं बल्कि समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों में भी पेड़ों की हजारों ऐसी प्रजातियां हैं, जो अपने आप में बेजोड़ हैं| दुनियाभर में वर्षावनों को उसकी अनेकों दुर्लभ प्रजातियां के लिए जाना जाता है| यही वजह है कि जब जंगलों के संरक्षण की बात होती है, तो सबसे पहले वर्षावनों को बचाने पर ही ध्यान केंद्रित...
More »जानिए कैसे लॉकडाउन में प्रोसेसिंग से टमाटर और प्याज को बचा रहे हैं ये गाँववाले!
-द बेटर इंडिया, आए दिन बढ़ रहे COVID-19 के मामलों की वजह से देश में लॉकडाउन की अवधि बढ़ती जा रही है। हालांकि, सरकार की पुरजोर कोशिश है कि इस दौरान देशवासियों को जितनी राहत मिल सकती है मिले। लेकिन फिर भी समाज के कुछ ऐसे वर्ग हैं, जिन्हें परेशानी हो रही है। लॉकडाउन के शुरू होते ही दिहाड़ी मजदूरों और समाज के अन्य कमजोर तबकों के साथ-साथ किसानों के लिए...
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