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न राजनीति सुधरेगी, न पुलिस --- विभूति नारायण राय

भारतीय पुलिस सेवा में तीन दशकों से अधिक के अपने सफर के दौरान मुझे जिस बात से सबसे अधिक आश्चर्य होता था, वह थी भारतीय जनता के मन मे पुलिस सुधारों को लेकर पसरी हुई उदासीनता। यह देखकर मन उदास हो जाता था कि जिस संस्था से औसत भारतीय नागरिक का सबसे अधिक वास्ता पड़ता है, उसे बेहतर बनाने के लिए किसी तरह का कोई आंदोलन नहीं होता। अधिक से...

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स्वच्छ हवा के लिए समग्र सोच-- विवेक चटोपाध्याय

दो दशक से भी पहले से वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास किए जा रहे हैं। इस दौरान विभिन्न तरह के फैसले लिए गए, जिनमें जीवाश्म ईंधन के विभिन्न स्रोतों, जैसे उद्योगों, ऊर्जा संयंत्रों और वाहनों आदि से निपटने के प्रयास शामिल हैं। इस तरह के उपायों ने 2006-2007 में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को थामने में मदद की। हालांकि उसके बाद वाहनों की संख्या में वृद्धि, सार्वजनिक परिवहन में कमी,...

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भूकम्प पूर्वानुमान अब भी चुनौती-- अभिषेक कुमार

ईरान-इराक सीमा पर कुर्द-बहुल इलाके में हाल में 7.3 तीव्रता के भूकम्प में गई सवा सौ से ज्यादा जानें अपने पीछे यह सवाल फिर छोड़ गई हैं कि क्या इसकी आहट की कोई सूचना पहले से नहीं मिल सकती! यह सवाल ज्यादा चर्चा में इसलिए है कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भूकम्प की भविष्यवाणी को लेकर काफी हलचल है। इसका प्रमुख आधार कलायिल नामक एक भारतीय व्यक्ति की भविष्यवाणी...

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पढ़ने से ज्यादा पानी लाने में समय खर्च कर रहीं छात्रावासों की छात्राएं

श्योपुर-कराहल। पूरा जिला पेयजल संकट से जूझ रहा है। सबसे बुरे हालात कराहल और विजयपुर ब्लॉक में हैं। कराहल के कई गांव ऐसे हैं जहां ग्रामीणों को दो से तीन-तीन किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। स्कूल और छात्रावासों में लगे बोर-हैंडपंप भी सूख चुके हैं। इस कारण शिक्षण संस्थानों में भी सूखे का असर दिख रहा है। पानी के लिए छात्रावास के बच्चे भी इधर-उधर भटकने को...

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सूखे का असर, पांच महीने पहले आ गया पतझड़!

हरिओम गौड़, श्योपुर। इस साल श्योेपुर जिले में बारिश बेहद कम हुई है, इसीलिए जिला प्रशासन ने श्योपुर को जल अभाव ग्रस्त और प्रदेश सरकार ने जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है। हालात यहां तक बिगड़ चुके हैं कि कई गांवों में कोसों दूर तक पीने का पानी नहीं इसलिए, ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं। बिना पानी के गांवों की जनता ही नहीं पेड़ों के पत्ते भी पलायन करने...

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