देश की जेलों की दयनीय स्थिति, इनमें बंद विचाराधीन कैदी तथा दोषियों की बढ़ती संख्या एक बार फिर न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गयी है। देश की 1387 जेलों में उनकी क्षमता से कहीं अधिक बंदी हैं और इस वजह से इनमें विचाराधीन कैदियों और दोषी कैदियों को काफी हद तक अमानवीय परिस्थितियों में रहना पड़ रहा है। एक बार फिर देश की शीर्ष अदालत ने इस ओर ध्यान देते...
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टिकाऊ पर्यावरण में भारत से बढ़कर कोई नहीं-- वीरेन्द्र रावत
गुजरात के भोड़ासा में नई स्कूल बिल्डिंग बना रहे थे। मैं पहाड़ी आदमी हूं, उत्तराखंड में। मुझे हरियाली की आदत है तो मैंने ट्रस्टीज को कहा कि क्या हम ग्रीन बिल्डिंग बना सकते हैं। उन्होंने पूछा कि इसका क्या मतलब है तो मैंने कहा कि यदि इमारत में प्रकृति के नियमों का पालन करें तो ऐसी इमारत ग्रीन कहलाती है। उनकी रजामंदी के बाद मैंने आर्किटेक्ट को मेरा विचार समझाया।...
More »आधी अधूरी खाद्य व्यवस्था-- जाहिद खान
तत्कालीन यूपीए सरकार जब साल 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लेकर आई, तो यह उम्मीद बंधी थी कि इस विधेयक के अमल में आ -जाने के बाद देश की 63.5 फीसद आबादी को कानूनी तौर पर तय सस्ती दर से अनाज का हक हासिल हो जाएगा। अफसोस, इस कानून को बने तीन साल हो गए, मगर यह आज भी पूरे देश में अमल में नहीं आ पाया है। नौ...
More »भ्रष्टाचार की संस्कृति में रचे-बसे हम - एनके सिंह
हर साल की तरह इस साल भी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट आई। भ्रष्टाचार के वैश्विक पैमाने पर भारत अंकों के आधार पर वहीं खड़ा है। पिछले हफ्ते ऑक्सफेम सहित दुनिया की तीन आर्थिक विश्लेषण संस्थाओं ने बताया कि भारत में विगत 25 सालों में गरीब-अमीर की खाई खतरनाक रूप से बढ़ती जा रही है। गरीब और गरीब होता जा रहा है, अमीर और अमीर। हमने कानून बनाए। भ्रष्टाचार के मुद्दे...
More »इक्कीसवीं सदी दलितों की है-- चंद्रभान प्रसाद
दलितों का महत्व अचानक ही बढ़ गया है, तमाम राजनीतिक पार्टियां डॉ. भीमराव अंबेडकर की परंपरा को अपनाने का दावा करते हुए दलितों के साथ अपनापा स्थापित करने में लग गई हैं। संघ परिवार जैसा दलितों का घनघोर विरोधी संगठन भी अंबेडकर के पक्ष में खड़ा होने लगा है। इन बुनियादी तथ्यों पर जरा नजर दौड़ाइए- 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने 282 सीटें...
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