आजमगढ़ [जासं]। अन्याय सहना उन्होंने नहीं सीखा। फकत सात साल की थीं जब उन्होंने कदाचार के खिलाफ बिगुल फूंका। कीमत बड़ी चुकानी बड़ी अर्थात पढ़ाई छूट गयी लेकिन हौसले का साथ न छूटा। कदाचार के खिलाफ जंग जारी रही और वर्ष 2005 में कक्षा 2 पास यह महिला बनीं अपने गाव की मुखिया। बात हो रही है फूलमती त्रिपाठी की। वह अजमतगढ़ विकास खण्ड की ग्राम पंचायत कादीपुर रजादेपुर की प्रधान हैं। मायका है...
More »SEARCH RESULT
महंगाई के जख्म पर सस्ते राशन का मरहम
निधिनाथ श्रीनिवास नई दिल्ली : सरकारी राशन दुकानों के सामने लगने वाली कतारें लंबी होने लगी हैं। निजी दुकानों पर खाद्य उत्पादों के दाम आम आदमी की ...
More »राशन की किल्लत का मामला गूंजा
राशन की किल्लत और गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की सूचियों में धांधलीं को लेकर मंगलवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ। पूरा विपक्ष उत्तेजित था। स्पीकर ने इस पर बुधवार को सदन में बहस का यकीन दिलाते हुए स्थिति को बिगड़ने से बचा लिया। पीडीपी के विधायक पीर मोहम्मद हुसैन ने आरोप लगाया कि उनके ही निर्वाचन क्षेत्र में ऐसे परिवार को बीपीएल सूचियों में शामिल किया गया है जो इसके हकदार ही...
More »अंधेरे में ज्ञान का जुगनू
राजस्थान के इस गांव में नाम भर को पढ़ा लिखा एक चरवाहा, बिना किसी सरकारी या दूसरे सहयोग के रात के अंधेरे में ज्ञान की रोशनी फैला रहा है. हरडी गांव अजमेर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. आसपास के तमाम दूसरे गांवों की तरह ही हरडी भी बिजली, पानी, सड़क जैसे विकास के न्यूनतम प्रतिमानो से वंचित है. गड़रिया जाति बाहुल्य इस गांव के 12 किलोमीटर के दायरे में कोई प्राथमिक स्वास्थ्य...
More »अब भी दुरुस्त नहीं विश्व की आर्थिक दशा - यूएन रिपोर्ट
अगर आप यह सोचते हैं कि महामंदी का कहर अब उतार पर है और अर्थजगत की सेहत के लिहाज से सबसे बुरा वक्त बीच चुका है तो यह रिपोर्ट खास आपके ही लिए है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा हाल ही में जारी वर्ल्ड इकॉनॉमिक सिचुएशन एंड प्रास्पेक्टस्-२०१० (डब्ल्यू ई एस पी) नामक रिपोर्ट में आशंका जतायी गई है कि विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि की सालाना रफ्तार मंदी से पहले...
More »