अपने देश में लड़कियों/महिलाओं के लिए समस्याएं जन्म के पहले से ही शुरू हो जाती हैं। मां के पेट में जीवित रह गईं तो पैदा होते ही परिवार में कमतरी का एहसास कराया जाता है। हर मामले में उन्हें लड़कों के पीछे खड़ा होना पड़ता है। यह एक ऐसा संघर्ष है जो ताउम्र चलता है। इन सबसे बच भी जाएं तो चूल्हे के धुएं की आग से बचना कठिन है।...
More »SEARCH RESULT
जो बन गए गरीब और बेसहारों के मसीहा
मनीष पाराशर, इंदौर। ज्यादातर लोग या तो अपने लिए काम करते हैं या परिवार के लिए। इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने दूसरों की जिंदगी भी संवारने का जिम्मा उठा रखा है। ये कोई धनवान नहीं, बल्कि दिनभर रोड पर चलने वाले ऑटो ड्राइवर हैं। कोई बच्चों के लिए चलती-फिरती संस्कार की पाठशाला चलाता है तो कोई बेसहारा बुजुर्गों की मदद के लिए हमेशा तैयार...
More »किडनी देने में छत्तीसगढ़ की महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों से अधिक
रायपुर। जिंदा रहते शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग में से एक किडनी (गुर्दा) का दान करना किसी के लिए भी आसान नहीं। तब जब कोई महिला इस परिस्थिति से गुजर रही हो, उसके अपने किसी की जिंदगी उसकी एक किडनी दान देने बच सकती हो। ऐसे में किडनी दान के लिए शारीरिक, मानसिक रूप से तैयार होने में छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। वे किसी...
More »कुम्हारबांधी: यहां 2016 में भी दिखती है 18वीं सदी जैसी गरीबी
सारठ बाजार. गरीबों के उत्थान की बातें अक्सर होती हैं, लेकिन इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखायी जाती है. यही कारण है कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों का जीवन सिर्फ दो वक्त की रोटी कमाने के प्रयास में ही बीत जा रहा है. प्रखंड के कुम्हराबांधी गांव के हरिजन टोले का ग्रामीणों का जीवन सिर्फ दो वक्त की रोटी तक सिमट कर रह गयी है और वह रोटी भी...
More »तकनीक की मदद से ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार की पहल
कौशिक यनामंद्रम और पीयूष सोहानी ने तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक कंपनी की स्थापना की है, नाम है सस्टेन अर्थ एनर्जी सॉल्यूशंस़ सितंबर, 2013 में स्थापित इस कंपनी के जरिये ये लोग ग्रामीण इलाकों में पर्यावरण अनुकूल ईंधन मुहैया कराते हैं. 28 साल के कौशिक इस कंपनी में फील्ड ऑपरेशंस के निदेशक की जिम्मेवारी संभालते हैं. वहीं, पीयूष इस कंपनी के सीइओ हैं और वित्तीय व तकनीकी मामलों...
More »