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निर्धनता का विचित्र पैमाना- संजय गुप्त

उच्चतम न्यायालय में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियां दूर करने के मामले की सुनवाई के सिलसिले में योजना आयोग के इस हलफनामे ने देश को चौंका दिया कि शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 32 और ग्रामीण इलाकों में 26 रुपये खर्च करने वाले लोग गरीबी रेखा से ऊपर माने जाएंगे। इस हलफनामे से योजना आयोग के साथ-साथ केंद्र सरकार की भी फजीहत हुई। इस हलफनामे को लेकर सबने सरकार को कोसा।...

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राजबाला का आज गांव में होगा अंतिम संस्कार

सोनीपत। दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के शिविर पर हुई पुलिस कार्रवाई में घायल हुई गांव भटाना जाफराबाद की राजबाला [55] की मौत की सूचना से जिले में शोक की लहर दौड़ गई। राजबाला का मंगलवार दोपहर गांव भटाना में अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम संस्कार में योग गुरु बाबा रामदेव भी शामिल रहेंगे और शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाएंगे। विदित हो कि कि जिले के गांव भटाना जाफराबाद...

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दो माह मे केंद्र को भेजे जाएंगे वन स्वीकृति के मामले

जागरण ब्यूरो, शिमला : मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि वन स्वीकृति के मामले दो माह के भीतर केंद्र सरकार को प्रेषित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जाएगा व इसी वित्तीय वर्ष में पांच आइटीआइ खोले जाएंगे। मुख्यमंत्री मंगलवार को यहा विधायकों के साथ योजना विचार-विमर्श के सायंकालीन सत्र में बोल रहे थे। मंडी जिला : रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर सुनिश्चित...

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गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान

  ‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख    सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....

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बीमार व्यवस्था में पिसते गरीब-- सुभाष चंद्र कुशवाहा

आज शिक्षा और स्वास्थ्य के व्यावसायीकरण के चलते गरीबों का जीना दूभर होता जा रहा है। आए दिन महंगी शिक्षा का खर्च वहन न कर पाने के कारण गरीब छात्र व्यावसायिक शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और हताशा में खुदकुशी कर रहे हैं। इसी तरह अस्पतालों का खर्च न उठा पाने के चलते गरीब असमय मरने को मजबूर हो रहे हैं। दुखद है कि आम लोगों को शिक्षा और...

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