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पुलिस का सबसे मुश्किल इम्तिहान- विभूति नारायण राय

वर्ष 1977 की शुरुआत। देश में सनसनी और उत्तेजना की बयार बह रही थी। किसी बडे़ अंधड़ की तरह आपातकाल देश को झिझोड़ता-झकझोरता गुजर चुका था और हम सभी विनाश की दृश्य और अदृश्य स्मृतियों को बुहारने में लगे थे। इसी समय देश का वह चुनाव हुआ, जिसने भारतीय समाज और राजनीति का परिदृश्य लंबे समय के लिए बदल दिया। यह वर्ष मेरे अनुभव संसार में भी बहुत कुछ जोड़ने...

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ऑस्ट्रेलिया में अडाणी की कोयला परियोजना को झटका, फिंच पक्षी के संरक्षण से संबंधित योजना ख़ारिज

मेलबर्नः ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड प्रांत की सरकार ने विलुप्तप्राय प्रजाति के फिंच पक्षी के संरक्षण से संबंधित अडाणी की प्रबंधन योजना को ख़ारिज कर दिया है. प्रशासन का कहना है कि अरबों डॉलर की प्रस्तावित खदान परियोजना मंजूरी के लिए आवश्यक शर्तों पर खरा नहीं उतरता. इसके साथ ही कंपनी की विवादित कारमाइकल कोयला खदान परियोजना अनिश्चितकाल के लिए टल सकती है. शुक्रवार को स्थानीय मीडिया की खबरों में इसकी जानकारी...

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कम नहीं चुनाव आयोग की शक्तियां- नवीन चावला

भारत में जाति पर बहस राजनीतिक परिणामों की एक निर्धारक है। यह वर्ष 2019 के आम चुनाव सहित भारत में तमाम चुनावों की एक रोचक विशिष्टता है। यह ऐसी निर्धारक है कि मतदाताओं के बीच अति लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चुनाव अभियान में अपनी जातिगत पहचान बतानी पड़ती है। उत्तर और केंद्रीय भारत की ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों को किसी जाति या बिरादरी विशेष के लिए पहचाना जाता है।...

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मनरेगा :4 राज्यों और 2 संघशासित प्रदेशों में नहीं बढ़ी मजदूरी! कहीं 1 रुपये तो कहीं 2 रुपये की बढ़ोत्तरी !

सबकुछ बदलने के बाद भी आखिर वह क्या जो नहीं बदलता ? दार्शनिक मिजाज के इस सवाल का एकदम ही व्यावहारिक सा जवाब हो सकता है- मनरेगा की मजदूरी!  बात तनिक बुझौवल सी लगी तो इन तथ्यों पर गौर करें: साल 2019-20 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट के तहत दिहाड़ी मजदूरी की दर की अधिसूचना 26 मार्च को जारी हुई. अधिसूचना से जाहिर होता है कि गोवा(254रुपये), कर्नाटक(249 रुपये), केरल(271रुपये) तथा...

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आख़िर क्यों मनरेगा मज़दूरों को नहीं मिलती उचित मज़दूरी?- देवमाल्या नंदी

महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी क़ानून (मनरेगा) वह क़ानून है जिसके अंतर्गत देश में सबसे अधिक व्यक्तियों को रोज़गार मिलता है. प्रत्येक वर्ष लगभग 8 करोड़ ग्रामीणों को इस क़ानून के अंतर्गत ग्रामीण विकास के कार्यों में रोज़गार मिलता है. मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों के लिए दैनिक मज़दूरी हर साल भारत सरकार द्वारा तय की जाती है ताकि महंगाई के साथ इनकी मज़दूरी भी बढ़े. केंद्र की मोदी सरकार ने...

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