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भारत में जून से अक्टूबर के बीच आ सकती है कोविड-19 की चौथी लहर- IIT कानपुर की स्टडी

-द प्रिंट, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा है कि भारत में कोरोनावायरस संक्रमण की चौथी लहर जून और अक्टूबर के बीच भारत में आ सकती है. उनका कहना है कि चौथी लहर 22 जून 2022 से शुरू होगी और 23 अगस्त 2022 तक चरम पर पहुंचेगी और फिर 24 अक्टूबर 2022 तक समाप्त हो जाएगी.’ यह अध्ययन मेडरिव पत्रिका में हाल में प्रकाशित हुआ है और...

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भेदभाव में लिंग-जाति अंतर्विरोध: क्या मरीज़ डॉक्टर की सामाजिक पहचान की परवाह करते हैं?

-आइ़डियाज फॉर इंडिया, भारत में सामाजिक पहचान पर आधारित भेदभाव व्यापक रूप में फैला होने की वजह से, भेदभाव में जाति-लिंग अंतर्विरोध के अध्ययन हेतु एक अनूठी सेटिंग उपलब्ध होती है। यह लेख, उत्तर प्रदेश में किये गए एक क्षेत्रीय प्रयोग के आधार पर दर्शाता है कि मरीज द्वारा महिला डॉक्टरों की तुलना में पुरुष डॉक्टरों को पसंद किये जाने के कारण जाति-संबंधी पूर्वाग्रह इस लिंग संबंधी भेदभाव को और बढ़ा...

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उत्तर प्रदेश के कोविड-19 संकट पर जारी आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट असलियत से परे है

-द वायर, आईआईटी कानपुर ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसका शीर्षक ‘कोविड संग्राम, यूपी मॉडल: नीति, युक्ति और परिणाम’ है. इस रिपोर्ट में कोविड-19 संकट से निपटने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार की तारीफों की झड़ी लगाई गई है. 100 पन्नों से कुछ बड़ी यह रिपोर्ट अंग्रेजी व हिंदी में उपलब्ध है. यह रिपोर्ट मनिंद्र अग्रवाल द्वारा लिखी गई है जो महामारी से पहले ‘कॉम्पलेक्सिटी थ्योरी’ पर...

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गंगा में कोरोना विषाणु का सर्वाइवल मुश्किल, नदी में महाजाल से डॉल्फिन को नुकसान का अंदेशा

-डाउन टू अर्थ,  "गंगा से लिए गए नमूनों में कोरोना विषाणु की उपस्थिति की आशंका बहुत कम है। विषाणु का भी जीवन है और वह मृत हो चुका होगा, मेरा अनुमान है कि वह पानी में जीवित नहीं रह पाएगा। नमूनों का अभी एक स्तर का परीक्षण हो चुका है और आगे के लिए जांच जारी है, इसके निर्णायक परिणाम आना बाकी हैं। यह परिणाम केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के जरिए...

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महामारी संकट : समुदाय आधारित भागीदारी बढ़ाने की जरूरत

-आउटलुक, महामारी की दूसरी लहर में पूरे देश में समुदाय सबसे अधिक व्यवहारिक (लचीली) संस्था के रूप में उभरे हैं। भारतीय परंपरा, मूल्य और सांस्कृतिक ताकत ने नई ऊर्जा और नए समूहों को स्वत: रूप से हम सबके सामने मदद के लिए लाकर खड़ा कर दिया है । इन सामुदायिक कार्यों ने ही समाज को राज्य और बाजार की विफलता से निपटने में सक्षम बनाया है। हालांकि इस बीच विभिन्न चिकित्सा...

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