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आर्थिक विकास तो महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत को बेरोजगारी, गरीबी, स्वास्थ्य, पर्यावरण पर भी ध्यान देना जरूरी है

-द प्रिंट, बजट और आर्थिक सर्वेक्षण से व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए सरकार की जो रणनीति उभरती है उसे इन शब्दों में सरलता से कहा जा सकता है—आर्थिक वृद्धि सभी समस्याओं का समाधान कर देगी. यह रणनीति दो दशक पहले कारगर होती थी जब व्यापक अर्थव्यवस्था के संकेतक आज के वित्तीय घाटे के लिहाज से हुआ करते थे, सरकारी कर्ज पर ब्याज भारी होता था, और बैंक समस्याओं से ग्रस्त होते थे....

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चीन को लेकर मतदाताओं को लुभाया जा सकता है लेकिन आप बेरोजगारों को कैसे साधेंगे

-द प्रिंट, निर्मला सीतारमण के लिए जरूर ही बहुत मुश्किल रहा होगा ये सबकुछ कर पाना. तेज दिमाग, तेज जबान और सियासी मौकों को भांप लेने की गजब की सलाहियत होने के बावजूद नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए 2022-23 का बजट तैयार करना और उसमें तुक बैठाना कोई आसान काम नहीं था. आखिर, निर्मला सीतारमण तेजी से छलांग लगाती एक ऐसी अर्थव्यवस्था की वित्त मंत्री हैं जो जल्दी ही 5 ट्रिलियन...

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बजट: खेती में तकनीक से तरक्की की राह, किसान ड्रोन को मिलेगा बढ़ावा, इन कामों में हो सकेगा इस्तेमाल

-गांव कनेक्शन, आम बजट की खूबियां गिनाते हुए वित्त मंत्री ने खेती में तकनीकी के इस्तेमाल पर जोर दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि खेती-किसानी में ड्रोन का इस्तेमाल होगा। जिससे फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेख, कीटनाशकों का छिड़काव में मदद मिलेगी। फसल में कहां रोग लगा है, कहां कीट लगे हैं। फसल में किस पोषक तत्व की कमी है। ऐसे कई खेती के कामों को ड्रोन के जरिए आसानी से हो...

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बढ़ती महंगाई से कोई अछूता नहीं, इस पर लगाम जरूरी

-रूरल वॉइस, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर  थोक बाजारों में मुद्रास्फीति  की दर  नवंबर में 14.23 फीसदी पर पहुंच गई जो  पिछले  कई दशकों  में सबसे ज्यादा है । यह स्थिति  देश के नीति विश्लेषकों और  अर्थशास्त्रियों के अनुसार बहुत बडा झटका देने वाली है लेकिन इस स्थिति से वास्तव  मे नीतिनिर्धारक कितने चिंतित है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।  पिछले आठ महीने से मुद्रास्फीति दहाई  में बनी हुई...

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महामारी से कितनी प्रभावित हुई दलित-आदिवासी शिक्षा?

-न्यूजक्लिक, पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने अन्य व्यवस्थाओं के साथ शिक्षा व्यवस्था को भी अस्त-व्यस्त कर दिया। सुखद है कि अब धीरे-धीरे शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। महामारी ने यूं तो सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को भी प्रभावित किया पर दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं का तो भविष्य ही दांव पर लग गया। इसमें हमारी जातिवादी और पितृसत्तावादी मानसिकता और उभर कर सामने आई। हाल ही में दलित आर्थिक अधिकार...

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