यह हमेशा ही होता रहा है। बदलाव जब दरवाजा खटखटाता है, तो उम्मीदें कम बनती हैं, आशंकाएं ज्यादा घेरती हैं। उम्मीद बांधने वाले कम होते हैं, परेशान होने वाले ज्यादा। हालांकि यह कहना भी सही नहीं है कि कृत्रिम बुद्धि यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस या एआई हमारा दरवाजा खटखटा रही है। दरअसल, वह बहुत चुपके से हमारे जीवन में प्रवेश कर चुकी है। यह उसका शैशव काल है, इसलिए फिलहाल हम...
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खतरे में बैंक वालों की नौकरी, 5 साल में 30% हो सकते हैं बेरोजगार
मुंबई। बैंकों के कुछ काउंटर हमेशा के लिए बंद होने वाले हैं। मसलन, पासबुक अपडेट करने वाले क्लर्क नजर नहीं आएंगे। उनके जैसे कुछ अन्य बैंक कर्मचारियों की भी जरूरत नहीं रह जाएगी। ऑटोमेशन के दौर में ऐसी नौकरियां खत्म हो रही हैं। कुछ बैंक शाखाओं में ये बदलाव अभी से नजर आने लगे हैं। ग्लोबल बैंकिंग कंपनी सिटीग्रुप को साल 2008 के वित्तीय संकट से उबारने वाले विक्रम पंडित ने...
More »नए भारत का कल और आज-- आर. सुकुमार
भारत के ग्रामीण इलाकों में जुगाड़ तकनीक से चलने वाला वाहन कोई नई बात नहीं। यह सहज ही कहीं भी दिख जाएगा। इसे किसी पानी के पंप वाली मोटर से विकसित किया जाता है। आमतौर पर किसी खेत के इर्द-गिर्द, लकड़ी के बड़े-बड़े कुंदों और तख्तों, ट्रेलर और ट्रैक्टर-पाट्र्स के रूप में इसके दर्शन हो जाएंगे। उत्तर भारत में आमतौर पर दिखने वाले इस नजारे को सहज भारतीय जीवन...
More »आइटी नौकरियां घटने का संकट-- आकार पटेल
अर्थव्यवस्था से जुड़ी कुछ चिंताजनक खबरें आ रही हैं, जिनकी चर्चा व्यापारिक अखबारों तक ही सीमित है. ये समाचार भारत के बड़ी सूचना तकनीक और सॉफ्टवेयर उद्योग की इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो जैसी कंपनियों से संबंधित हैं. पिछले दो दशकों से तेजी से बढ़ रही इन संस्थाओं की वृद्धि धीमी पड़ गयी है. अब इन कंपनियों की वार्षिक बढ़ोतरी एकल अंकों में हो रही है और इसके लिए भी...
More »पीछे छूट गया रोजगार का सवाल- हरिवंश चतुर्वेदी
आर्थिक उदारीकरण के दौर में जिन राज्यों के आर्थिक विकास की दर तेज रही और जिन्हें समय-समय पर एक मॉडल की तरह पेश किया गया, वहां अब सामाजिक- आर्थिक स्थिति विस्फोटक हो रही है। पिछले एक वर्ष में हरियाणा के जाटों, गुजरात के पटेलों, महाराष्ट्र की मराठा जातियों और आंध्र प्रदेश में कापू जाति के लोगों ने खुद को अन्य पिछड़ी जातियों में शामिल किए जाने की मांग को लेकर...
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