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बिहार: गरीबी पर गंदी राजनीति

-आउटलुक, “डबल इंजन सरकार में शिक्षा और काम की तलाश में दूसरे राज्य जाने वालों की रफ्तार और बढ़ी” देश सिर्फ नई दिल्ली में नहीं बन सकता। विकास के पैमानों पर बिहार का लगातार निचले पायदान पर होना सामूहिक राष्ट्रीय बेचैनी का विषय होना चाहिए। दुर्भाग्यवश सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग की रिपोर्ट का केंद्र सरकार के नीतिगत दृष्टिकोण और बिहार सरकार पर कोई असर नहीं दिखता है। इस रिपोर्ट में सभी...

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जायज नहीं किसान आंदोलन पर बेहिसाब उम्मीदों का बोझ लादना

-कारवां, साल भर से भी ज्यादा समय हो गया है नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को पारित किए हुए. लेकिन उनके खिलाफ जारी प्रतिरोध आंदोलन आज के भारत में एक व्यापक और सतत विरोध आंदोलनों में से एक रहा है. अपनी व्यापकता और दृढ़ता के साथ यह आंदोलन विभिन्न समूहों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया और इससे सभी की अपनी-अपनी उम्मीदें रही हैं. इनमें से कई तो उन...

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बिहार का बदलता मौसम कैसे मक्के की खेती को तबाह कर रहा है

-बीबीसी, बिहार के पूर्णिया ज़िले को मिनी दार्जिलिंग कहा जाता है, लेकिन इन दिनों यहां मौसम कुछ ज़्यादा ही बेईमान दिख रहा है और इससे किसान बेहाल हैं. सीमांचल के दूसरे ज़िलों की तरह ही असमान और बेमौसम बारिश और आंधी तूफ़ान किसानों के साथ-साथ आम लोगों के जीवन को भी तबाह कर रहे हैं. शहर की सड़कों से लेकर गांव में खेतों तक पानी जमा है. कैलाश यादव अपने बड़े से...

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अनहेल्दी सीक्रेट्स - क्यों जरूरी है पीएम केयर्स फंड की जांच

-कारवां, आजादी के बाद देश के सभी बड़े शहरों में पाकिस्तान से आने वाले हिंदू और सिख शरणार्थियों की संख्या हर बीतते दिन बढ़ रही थी. जवाहरलाल नेहरू उस समय देश की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री थे और उनके आधिकारिक आवास तीन मूर्ति भवन में भी लोगों की भीड़ लगी रहती. नेहरू के निजी सचिव रहे एम. ओ. मथाई अपनी किताब रेमनिसंस ऑफ दि नेहरू ऐज में नेहरू की एक आदत...

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कोविड महामारी ने पहले से हाशिये पर पड़े एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय की पीड़ा को और बढ़ाया है

-द वायर, अभिजीत केरल के तिरुवनंतपुरम में बतौर रेडियो जॉकी काम कर रहे थे जब बीते वर्ष मार्च में कोविड-19 महामारी ने भारत में दस्तक दी थी, जिसने सरकार को देशव्यापी लॉकडाउन लगाने के लिए प्रेरित किया था. लॉकडाउन के चलते अभिजीत अपने घर ग्रामीण पत्तनमतिट्टा जिला लौट आए, जहां उनके माता-पिता एक संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा और चचेरे भाइयों के साथ रहते हैं. होमोफोबिक रिश्तेदार और चचेरे भाई-बहनों के साथ...

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