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नेफेड ने खरीदा 19.47 लाख टन चना, दालों की कीमतें नियंत्रित रखने में कितनी कारगर रहेगी यह रणनीति

रूरल वॉयस, 16 मई  केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) प्राइस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत आक्रामक तरीके से चना की सरकारी खरीद कर रहा है। चालू रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में अब तक 19.47 लाख टन से ज्यादा चना की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जा चुकी है। पिछले रबी मार्केटिंग सीजन में करीब 26 लाख टन चना की खरीद नेफेड ने...

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सेब के सस्ते आयात पर लगी रोक, न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये किलो तय, बागवानों को मिलेगी बड़ी राहत

रूरल वॉयस, 9 मई सेब उत्पादकों को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने सेब के सस्ते आयात पर रोक लगा दी है। अब 50 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले सेब का आयात नहीं हो सकेगा। इस फैसले से हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और उत्तराखंड के सेब उत्पादकों को बड़ी राहत मिलेगी। विदेशों से सस्ते आयात के चलते घरेलू उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था और वे लंबे समय से...

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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य

पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...

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दुनिया भर में कृषि में उपयोग होने वाले फास्फोरस में 70 से 80 फीसदी सुधार की जरूरत

डाउन टू अर्थ, 26 अक्टूबर शोधकर्ताओं ने खेतों में फास्फोरस बजट की मात्रा निर्धारित करने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन जारी किया है। यह खाद्य उत्पादन तथा विभिन्न क्षेत्रों में पोषक तत्व प्रबंधन में कमी की पहचान करने में मदद करेगा। यह नया डेटाबेस अलग-अलग देशों और क्षेत्रों को फास्फोरस से होने वाले प्रदूषण और इसकी कमी की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा। साथ ही, यह विभिन्न देशों के फास्फोरस...

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खबरदार

  खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...

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