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जो बन गए गरीब और बेसहारों के मसीहा

मनीष पाराशर, इंदौर। ज्यादातर लोग या तो अपने लिए काम करते हैं या परिवार के लिए। इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने दूसरों की जिंदगी भी संवारने का जिम्मा उठा रखा है। ये कोई धनवान नहीं, बल्कि दिनभर रोड पर चलने वाले ऑटो ड्राइवर हैं। कोई बच्चों के लिए चलती-फिरती संस्कार की पाठशाला चलाता है तो कोई बेसहारा बुजुर्गों की मदद के लिए हमेशा तैयार...

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टेक्नोलॉजी से सुलझती समस्याएं- प्रीतीश नंदी

आज के तकनीकी विशेषज्ञों की सबसे अच्छी बात यह है कि वे हमारी कुछ सबसे पुरानी समस्याए सुलझा रहे हैं। ऐसी समस्याएं, जो कोई कभी सुलझाना ही नहीं चाहता था, क्योंकि मुनाफा यथास्थिति में ही था, इसलिए कोई नहीं चाहता था कि ये दूर हों। हर कोई इससे पैसे कमा रहा था। फिर तकनीक के विशेषज्ञ आए और उन्होंने सारा खेल बिगाड़ दिया। आइए कुछ उदाहरण देखते हैं : टैक्सी एप...

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बिहार : इलाज बना धंधा, बीमारी की आड़ में लाखों की कमाई

इलाज अब धंधा बन गया है. और इस धंधे को चलाने का सबसे बेहतर जरिया नर्सिग होम. लिहाजा, धड़ाधड़ खुल रहे नर्सिग होम का मकसद बेहतर मेडिकल सुविधा देना नहीं, बल्कि धन अजिर्त करना रह गया है. पैसा बनाने की भूख ने इस पेशे को विकृति की हद तक पहुंचा दिया है. सांसत में पड़ी मरीज की जान की कीमत ऐसे नर्सिग होम में खूब वसूल की जाती है. बाजार...

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मेहनत का फल : कदम चूमने लगी कामयाबी

सचमुच मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती. वे जो ठानते हैं, कर दिखाते हैं. उदाहरण के तौर पर आप सीवान जिले के रिसौरा गांव के निर्मल कुमार को ले लीजिए. बचपन से पोलियोग्रस्त रहे. इसके बावजूद गांव से तीन किलोमीटर पैदल चल कर पढ़ाई पूरी की. उन्होंने दुनिया को बताया कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी कामयाबी हासिल की जा सकती है. नि:शक्त होने के बावजूद दृढ़ इच्छाशक्ति...

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आम तोड़ने वाली खास लड़की

झारखंड की राजधानी रांची से करीब 15 किलोमीटर दूर रातू चाटी गांव के आम के बगीचे में आज से सात-आठ साल पहले एक दुबली-पतली, पर खिलंदड़ी लड़की को एक ही निशाने में आम तोड़ते देख शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वह भविष्य में अपने इसी निशाने के कारण गांव और देश का नाम रोशन करेगी। वह लड़की अब कभी-कभी ही गांव जा पाती है, पर तीरंदाजी में उसकी...

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