बीसवीं सदी के अंतिम दशक से भारत में जो विकासराग आरंभ हुआ, उसकी कुछ अस्फुट ध्वनियां राजीव गांधी के कार्यकाल में 1986 से सुनी जा सकती हैं. अंतिम दशक में जो विकास-दृष्टि, नीति बनी, वह 25 वर्ष में कहीं अधिक शक्तिशाली हो चुकी है. इस राग ने सभी रागों को सुला दिया है. आकर्षक, लुभावने मुहावरों और शब्दजाल का जो सिलसिला डेढ़ वर्ष से जारी है, उसने हमारी चिंतन-प्रक्रिया को...
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उपज कम देख 36 और किसानों की मौत
लखनऊ। कुदरत की मार के बाद बर्बाद फसल के दर्द को झेल रहे किसान कम पैदावार और खराब गुणवत्ता को देखकर अपना धैर्य खो बैठ रहे हैं। बर्बादी का मंजर सदमा बनकर पूरी तरह से टूट चुके किसानों की जान ले रहा है तो कुछ आत्महत्या पर आमादा हैं। जिंदगी की कशमकश में फंसे बुधवार को 36 और किसानों की मौत हो गई। शाहजहांपुर में फसल बर्बादी के गम में डूबे...
More »फसल बर्बादी की हताशा में 31 और किसानों की मौत
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मौसम के उलटफेर से हुई फसलों की बर्बादी अब तक किसानों की अकाल मौत की वजह बनी हुई है। उजड़ी फसल और अपनों को खोने से गमजदा परिवार सांसत में हैं। आंधी-पानी से हुए नुकसान की कोई भरपाई होती न देख असहाय किसानों की या तो सदमे से मौत हो जा रही है या हताशा और निराशा में आत्महत्या कर रहे हैं। बीते 24 घंटे में...
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