-कारवां, जयंत सिंह चौधरी राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष हैं. इस पार्टी का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आधार है. आरएलडी का गठन 1996 में जयंत के पिता अजित ने जनता दल से अलग हो कर किया था. इसकी पूर्ववर्ती पार्टी लोक दल थी, जिसकी स्थापना 1980 में जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह ने की थी. चरण सिंह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध किसान नेता रहे. अपनी स्थापना के बाद...
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वाहन उद्योग: सुस्ती से उबारने के लिए निजी वाहन नहीं, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना जरुरी है
बिक्री के मोर्चे पर सुस्ती झेल रहे वाहन उद्योग को गति देने के लिए बीते 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई अहम घोषणाएं की. इसमें सरकारी विभागों पर वाहनों की खरीद के मामले में लगी रोक को हटाना, घोषणा के दिन से मार्च 2020 तक खरीदे गये वाहनों पर 15 फीसद अतिरिक्त मूल्यह्रास की अनुमति देना (15 फीसद का मूल्यह्रास पहले से लागू होने के कारण अब यह 30...
More »खेती-किसानी पर हुए खर्च से ज्यादा है कारपोरेट जगत को मिली करों में छूट
अनुमान लगाइए कि कारपोरेट जगत को सरकार ने 2017-18 में करों पर कितनी छूट दी है ? शायद आपको यकीन ना आये लेकिन कारपोरेट सेक्टर को टैक्स के मामले में जो छूट मिली वह कृषि मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय के कुल खर्चे का 50 फीसदी से ज्यादा है. कारपोरेट जगत को मिलने वाली छूट को तकनीकी भाषा में हम स्पेशल टैक्स रेट, एक्जेम्पशन, डिडक्शन, रिबेट, डेफरल्स जैसे कई नामों से...
More »ज्यां द्रेज़: सामाजिक नीति का कथा पुराण
आज शायद ही किसी को वह चिट्ठी याद होगी जिसे सात अगस्त 2013 को नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा था. इस चिट्ठी में मोदी ने दुख जताया था कि "खाद्य सुरक्षा का अध्यादेश एक आदमी को दो जून की रोटी भी नहीं देता." खाद्य-सुरक्षा के मामले पर लोकसभा में 27 अगस्त 2013 को बहस हुई तो उसमें भी ऐसे ही मनोभावों का इज़हार हुआ. तब भारतीय जनता पार्टी के...
More »मीडिया चालित समाज में लोकतंत्र- विपुल मुद्गल
हमने चर्चित कारपोरेट पीआर बॉस नीरा राडिया, मीडिया की नामवर हस्तियों और राजनीति के दिग्गजों की टेलीफोन की बातचीत के लीक हुए टेपों में जो कुछ सुना है वह एक मीडिया-चालित(मीडिया-आइज्ड) राजनीति की सटीक तस्वीर पेश करता है। इस प्रकरण से पता चलता है कि किस तरह से पेशेवर संवादकर्मी (प्रोफेशनल कम्युनिकेटर्स) महत्वपूर्ण नीतियों के मामलों में जनता की समझ को गढते या परिचालित करते हैं। निसंदेह...
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