-न्यूजक्लिक, जब 7 मई की रात को यह लेख लिखा जाने लगा कि किस तरह वर्तमान में कोरोना संकट के दौर में पूँजीवाद का घिनौना चेहरा बेनकाब हो रहा है और प्रवासी मज़दूर बंधुआ मज़दूरों में बदल रहें है तो लिखते लिखते घर लौटते हुए प्रवासी मजूरों की मृत्यु के आंकड़े खोजने के चक्कर में यह अधूरा रह गया। फिर सोचा कि लेख अगले दिन पूरा होगा परन्तु जब सुबह हुई...
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क्या दिल्ली के रैनबसेरों में मजदूर ठीक-ठाक से रह रहे हैं?
-न्यूजलॉन्ड्री, राष्ट्रीय राजधानी में काम के अवसरों पर ताला लगते ही मजदूरों की बड़ी संख्या वापस अपने गांव-कस्बों में पहुंच चुकी है. लेकिन कुछ ऐसे भी मजदूर परिवार थे जो पुलिसिया सख्ती के कारण दिल्ली की सीमा को भेद नहीं पाए. आखिर यह सभी कहां हैं और कोरोना विषाणु से भयभीत इस दुनिया में उनके लिए क्या इंतजाम हो पाए हैं? "सर, यह रैनबसेरा काट रहा है? दो दिन हो गए. घर-परिवार...
More »शहरों से गांव पहुंचने वाले मजदूरों को लेकर कितना तैयार है प्रशासन?
-गांव कनेक्शन, लॉकडाउन के बाद सडकों पर उतरे मजदूर अब अपने राज्यों और जिलों को पहुंचने लगे हैं। पहले लोगों को चिंता थी कि ये मजदूर सही तरीके से अपने घर पहुंच जाएं लेकिन अब सबको यह चिंता सता रही है कि अगर इन लोगों में कोई कोरोना से संक्रमित हुआ तो क्या होगा? आपकी इसी चिंता को देखते हुए गांव कनेक्शन ने उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों से जानकारी जुटाई...
More »अंकरी घास क्यों खा रहे थे मुसहर?
-न्यूजलॉन्ड्री, कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने देशभर में 21 दिनों के पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है. इसके बाद गरीब और मजदूर तबके की परेशान करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. लॉकडाउन की वजह से देश के अलग-अलग शहरों से मजदूर तबका अपने घरों को लौटने को मजबूर है. इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से एक खबर सामने आई जिसने...
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