Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | शहरों से गांव पहुंचने वाले मजदूरों को लेकर कितना तैयार है प्रशासन?

शहरों से गांव पहुंचने वाले मजदूरों को लेकर कितना तैयार है प्रशासन?

Share this article Share this article
published Published on Mar 31, 2020   modified Modified on Mar 31, 2020

-गांव कनेक्शन, 

लॉकडाउन के बाद सडकों पर उतरे मजदूर अब अपने राज्यों और जिलों को पहुंचने लगे हैं। पहले लोगों को चिंता थी कि ये मजदूर सही तरीके से अपने घर पहुंच जाएं लेकिन अब सबको यह चिंता सता रही है कि अगर इन लोगों में कोई कोरोना से संक्रमित हुआ तो क्या होगा?

आपकी इसी चिंता को देखते हुए गांव कनेक्शन ने उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों से जानकारी जुटाई है कि आखिर ये मजदूर जब गांव पहुंचेंगे तो प्रशासन ने क्या तैयारी की है? यह तैयारियां इसलिए भी जरूरी है कि इससे मजदूर भी सुरक्षित रहेंगे और बाकी ग्रामीण भी संक्रमण से बचे रहेंगे।

''हमने गांवों के प्रथामिक विद्यालयों को क्‍वारंटाइन सेंटर में तब्‍दील किया है। सभी ग्राम प्रधानों से कहा गया है कि जो लोग शहरों से गांव लौटे हैं उनकी एक ल‍िस्‍ट तैयार की जाए। हम उन्‍हें 14 दिन तक क्‍वारंटाइन करेंगे। अगर उनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए तो वो घर जा सकते है।'' यह बात उत्तर प्रदेश में इटावा के जिलाध‍िकारी जेबी सिंह कहते हैं।

इटावा के जिलाध‍िकारी जो बात कह रहे हैं ऐसा ही हाल पूरे उत्‍तर प्रदेश का है। उत्‍तर प्रदेश में करीब एक लाख मजदूर शहरों से गांवों को लौटे हैं। राज्‍य सरकार ने तमाम ग्राम प्रधानों से ऐसे मजदूरों की लिस्‍ट बनाकर तैयार करने को कहा है जो बाहर से गांव आए हैं। इस लिस्‍ट के आधार पर इन मजदूरों को प्रथामिक स्‍कूलों में बने क्‍वारंटाइन वार्ड में रखा जाएगा या घर में ही अलग रहने की सलाह दी जाएगी।

इसी कड़ी में उत्‍तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के बनैल गांव में कुछ मजदूर शहरों से गांव लौटे थे। इन मजदूरों के आने की जानकारी मिलते ही जिले की स्‍वास्‍थ्‍य टीम गांव पहुंची और इन लोगों को घर में ही क्‍वारंटाइन रहने की सलाह दी। ऐसा ही घटना कई और गांव में देखने को मिला है। यूपी के सिद्धार्थनगर जिले के हसुड़ी अवसानपुर गांव के प्रधान दिलीप त्रिपाठी बताते हैं, ''हमारे गांव में चार लोग मुंबई से लौटे थे। मैंने इसकी जानकारी तुरंत प्रशासन को दी। साथ ही उन लोगों को भी घर में रहने की सलाह दी है। पहले तो वो लोग नहीं माने, लेकिन जब प्रशासन ने सख्‍ती की तो अब घर में ही रह रहे हैं।''

यह तो हुआ उत्‍तर प्रदेश का हाल जहां प्रधान के स्‍तर पर लिस्‍ट तैयार की जा रही है। इसके अलावा भी देशभर से मजदूर अलग-अलग राज्‍यों के गांवों में लौटे हैं। हाल ही में पश्‍चिम बंगाल की एक तस्‍वीर सामने आई थी, जहां चिन्‍नई से अपने गांव लौटे लोग घरों से दूर पेड़ों पर रह रहे थे। पुरुलिया जिले के वांगिडी गांव का यह मामला है। इस गांव में चिन्‍नई से लौटे लोग हाथ‍ियों की निगरानी करने के लिए पेड़ों पर बनाए कैंप में रह रहे हैं। यहां वो इसलिए रह रहे थे कि उनके घरों में अगल से कमरा नहीं था जहां वो खुद को आइसोलेट कर सकें। ऐसे में इस कैंप का ही इस्‍तेमाल किया गया।

शहरों से गांव लौटने वाले प्रवासी मजदूरों में बड़ी संख्‍या बिहार के लोगों की है। दिल्‍ली से जब मजदूर निकलने लगे तो बिहार के मुख्‍यमंत्री ने सबसे पहले इसपर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि 'यह पलायन लॉकडाउन को फेल करेगा। साथ ही इससे वायरस के फैलने का खतरा बढ़ेगा।' अपनी इसी चिंता के मद्देनजर बिहार सरकार ने राज्‍य के सीमावर्ती जिलों में व्‍यापक स्‍तर पर प्रबंध किए हैं।

सरकार की तैयारियों पर बिहार के गृह विभाग के अपर मुख्‍य सचिव अमीर सुबहानी ने रविवार को एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में बताया कि अन्‍य राज्‍यों से मजदूर पहुंचने लगे हैं, जिनके ठहरने और भोजन की व्‍यवस्‍था सीमावर्ती जिलों में की गई है। इन जिलों के सरकारी स्‍कूलों में कैंप बनाए गए हैं जहां इन्‍हें रखा जाएगा। यहीं इनकी जांच होगी और अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाता है तो उसे अलग रखा जाएगा।

वहीं, बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्‍तेश्‍वर पांडेय ने कहा कि हमने औरंगाबाद, नवादा, जमुई, बांका, सीवान, कैमूर, गोपालगंज, किशनगंज, बक्‍सर जैसे सीमावर्ती जिलों में चेक पॉइंट बनाए हैं। इन जिलों में ही मजदूरों के ठहरने, खाने पीने और क्‍वारंटाइन रखने की व्‍यवस्‍था की गई है। जब यह क्‍वारंटाइन का 14 दिन निकाल लेंगे तो इन्‍हें गांव भेज दिया जाएगा।

हालांकि अध‍िकारियों की बातों और सच्‍चाई में बहुत फर्क नजर आता है। सोशल मीडिया में ऐसे ही एक कैंप का वीडियो वायरल हो रहा है। पत्रकार उपाशंकर सिंह ने यह वीडियो ट्वीट किया है जिसमें कई लोगों को एक जगह बंद किया गया है। इनमें से कुछ रो रहे हैं तो कुछ गुहार लगा रहे हैं कि उन्‍हें छोड़ दिया जाए।

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


रणविजय सिंह, https://www.gaonconnection.com/desh/coronavirus-migration-how-prepared-is-rural-india-47278


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close