पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...
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अपमान, तिरस्कार, डर… सुनहरे सपनों के बीच खत्म होती जिंदगियां
इंडियास्पेंड, 01 मार्च "मुंबई में सैलून की दुकान पर काम कर किसी तरह बेटे राजा को पढ़ा रहा था। वह पढ़ने में अच्छा था तो सोचा था कि हमारी गरीबी खत्म करेगा। लेकिन ऊपर वाले को तो कुछ और ही मंजूर था। मुझे अब भी विश्वास नहीं होता कि मेरा बेटा आत्महत्या कर सकता है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था।" शाहजहांपुर जिले के कांट पश्चिमी पट्टी के रहने वाले 48 वर्षीय...
More »ग्रामीण क्षेत्र के लिए कितना हितकारी है 2023-24 का बजट?
रूरल वॉइस, 24 फरवरी पिछले साल 2022-23 के लिए जब बजट पेश किया गया तो मैंने उसे जातिगत भेदभाव वाला बताया था। अगले वित्त वर्ष के लिए जो बजट पेश किया गया है, उसके प्रस्तावों पर गौर करें तो इसमें भी जातिगत भेदभाव झलकता है। तमाम मीडिया में नई स्कीम की घोषणाओं और पूंजी निर्माण के लिए अधिक आवंटन को ‘अमृत काल’ जैसे लुभावन शब्दों के रूप में पेश किया गया।...
More »टॉप 1% अमीरों पर उपभोग सेस से कम होगी अमीर-गरीब के बीच की खाई
द क्विंट, 22 जनवरी 2022 की ऑक्सफैम (Oxfam Report) की असमानता रिपोर्ट ने सरकार को आईना दिखाने का काम किया है. रिपोर्ट ने देश में मौजूद गैर बराबरी की तरफ इशारा करते हुए कहा है कि अमीरों और गरीबों के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है. ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट’ नाम की इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कैसे “2021 में भारत के टॉप 1...
More »जलवायु परिवर्तन सम्मेलन: पहले दिन कुछ खोया कुछ पाया
कार्बन कॉपी, 07 नवम्बर मिस्र में चल रहा जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के पहले दिन ही खींचतान और दांवपेंच का दौर शुरू हो गया. भारत और विकासशील देशों के लिए यह बहुत अहम वार्ता है. विशेष रूप से साल 2022 में हुई एक्सट्रीम वेदर की घटनाओं को देखते हुए. ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि भारत सरकार जो कि इस सम्मेलन की अहम भागीदार है उसका रुख क्या रहेगा? अच्छी ख़बर यह...
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