-द प्रिंट, राजद्रोह का कानून, जो औपनिवेशिक काल का एक अवशेष है उसकी आज़ादी के 75 साल बाद आज क्या कोई जरूरत रह गई है? बृहस्पतिवार को यह सवाल भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने मोदी सरकार के एटर्नी जनरल से किया. यह सवाल सारगर्भित भी है और रस्मी भी. वैसे, यह मसले का केंद्र बिंदु भी नहीं है, और इसकी वजह है. राजद्रोह का कानून इसलिए भयानक नहीं है...
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आलेख : नृशंस साम्राज्य
-आउटलुक, “ऐसा प्रचंड संकट आजादी के बाद से नहीं आया था, अब तो मोदी समर्थक भी मानने लगे हैं कि महामारी में सरकार का रवैया सारे दायित्व से हाथ झाड़ लेने का रहा है” इस 9 मई को पिंजरा तोड़ आंदोलन की अगुआ छात्र एक्टिविस्ट नताशा नरवाल के पिता महावीर नरवाल कोविड महामारी से जंग हार गए। वे दुनिया से विदा होने के पहले अपनी बेटी से मिल या बात नहीं कर...
More »तिर्यक आसन: योगास्कर गोज़ टु मिस्टर प्राइम मिनिस्टर!
-जनपथ, स्मार्ट सिटी के शोर के बीच स्मार्ट विलेज बनाने की भी पैरवी हो रही है। गाँवों को इस स्मार्ट शब्द की जद से बख्श देना चाहिए। भाषायी कौशल के मामले में गाँव, शहरों से अधिक स्मार्ट हो चुके हैं। शहर अभी हिंग्लिश बोल रहा है। वहीं गाँव भोजपुरी, हिंदी और अंग्रेजी को मिलाकर नई भाषा ईजाद कर चुका है। गाँव से शहर के स्मार्ट कान्वेंट स्कूल में पढ़ने जाने वाला बच्चा...
More »मुक्त हुए मानव तस्करी के शिकार 16 बंधुआ मजदूर, अल्पसंख्यक समुदाय के मजदूर हो रहे टारगेट
-बंधुआ मुक्ति मोर्चा नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर ईरेडिकेशन ऑफ़ बोंडेड लेबर उत्तरप्रदेश ने बंधुआ मुक्ति मोर्चा दिल्ली को दिनांक 13/11/2020 को सूचना दी कि 16 मजदूरों को को अल्पसंख्यक समुदाय से है को जिला संभल के मछाली गांव में एच प्लस एच भट्टे में चल रही बंधुआगिरी से मुक्त कराया जावे। तत्काल बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने संभल जिले के जिलाधिकारी एवं एडीएम को एक शिकायत भेजकर मानव तस्करी से पीड़ित बंधुआ मजदूरों...
More »आत्मनिर्भरता के अर्थ और अनर्थ
-डाउन टू अर्थ, महात्मा गांधी ने भारत के नीति निर्माताओं और सुधारकों को जंतर देते हुए कहा था कि - "... जो सबसे कमजोर और गरीब आदमी तुमनें देखा हो, उसे याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा। क्या उसे कुछ लाभ पहुंचेगा ? क्या उससे वह अपने जीवन और भाग्य पर कुछ...
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