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सरकार के इस नायाब तरीके से गरीबी मुक्त भारत जल्द

डाउन टू अर्थ, 10 जनवरी खिरकार इस साल भारत के पास गरीबी का अपना आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध होगा। दरअसल, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) वर्तमान में उपभोग व्यय नमूना सर्वेक्षण कर रहा है, जिसका उपयोग गरीबी के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। सर्वेक्षण इस साल जुलाई तक जारी रहेगा और इसके प्रारंभिक परिणाम साल के अंत तक आने की संभावना है।   दिल्ली में सत्ता के गलियारों में अधिकारियों के...

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राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने वन संरक्षण नियम 2022 पर मंत्रालय से रोक लगाने को कहा

द वायर, 20 अक्टूबर नए वन संरक्षण नियम 2022, वन अधिकार अधिनियम, 2006 में निहित वनवासियों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. यह बात कहते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) ने पर्यावरण और वन मंत्रालय से आग्रह किया है कि जून में अधिसूचित नए नियमों को रोक दिया जाए. इसने सरकार से डायवर्जन के लिए प्रस्तावित वन भूमि पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासियों (ओटीएफडी) को वन अधिकार अधिनियम अधिकार...

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झारखंड: आदिवासी इलाकों में ग्राम सभाएं बचा रही हैं ज़मीनी लोकतंत्र

द वायर, 4 अक्टूबर  लोकतंत्र पर से  लोगों का भरोसा उठ रहा है. कथित सभ्य समाज के ढांचे में भी कई लोगों को बदलाव की उम्मीद नहीं दिखती. समाज में बढ़ते व्यक्तिवाद ने एक दूसरे पर भरोसा करने के जीवन-मूल्य को भी प्रभावित किया है. संवाद के रास्ते बंद दिखाई पड़ते हैं. स्थितियों को व्यापकता से देखने-समझने का नजरिया, जिसमें शोषित और पिछड़े तबके के लोगों के लिए भी रोजी-रोजगार के...

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पेसा कानून में बदलाव के खिलाफ छत्तीसगढ़ के आदिवासी हुए गोलबंद, रायपुर में निकाली रैली

जनचौक, 3 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर में छत्तीसगढ़ के समस्त आदिवासी इलाके की ग्राम सभाओं का एक महासम्मेलन गोंडवाना भवन में आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न ग्राम सभाओं के 5000 से अधिक आदिवासी प्रतिनिधि हिस्सा लिए।  इस मौके पर सूबे के अलग-अलग हिस्सों से आए सिलगेर से रघु,कोयलीबेड़ा से सहदेव उसेंडी, दुर्गुकोंदल से जगत दुग्गा, अंतागढ़ से संत लाल दुग्गा, सिहावा से लोकेश्वरी नेताम, मीरा संघमित्रा,मानपुर से सरजु टेकाम, बीजापुर से...

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गरीबी और असमानता

[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...

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