-द वायर, बीते मंगलवार को राज्यसभा ने कृषि सुधार के नाम पर लाए गए आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम विधेयक, 2020 को मंजूरी दे दी, जिसके जरिये अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया है. दूसरे शब्दों में कहें, तो अब निजी खरीददारों द्वारा इन वस्तुओं के भंडारण या जमा करने पर सरकार का नियंत्रण नहीं होगा. हालांकि संशोधन के तहत यह...
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क्यों ये तीन विधेयक कुछ के लिए किसानों की आजादी हैं तो बाकियों के लिए उनकी मौत के फरमान
-सत्याग्रह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हें किसानों के लिए रक्षा कवच कह रहे हैं. उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए ये किसानों की मौत का फरमान हैं. इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि से जुड़े और संसद से पारित हो चुके तीन विधेयकों पर राय के जो दो छोर हैं उनके बीच कितना फासला है. देश के कई राज्यों में किसान इन विधेयकों पर गुस्से का इजहार करते...
More »कृषि विधेयक: क्या हैं प्रावधान, क्यों हो रहा विरोध
-बीबीसी, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में कृषि से जुड़े विधेयकों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. तीनों बिल लोकसभा में पारित हो चुके हैं. किसान इनका विरोध कर रहे हैं, विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है, लेकिन सरकार इन्हें किसानों के हित वाला बता रही है. पहले समझते हैं कि इन तीनों विधेयकों के मुख्य प्रावधान क्या हैं. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण)...
More »किसानों को पैकेज और अध्यादेशों से कोई फायदा नहीं
-आउटलुक, आजादी के बाद पिछले 70 साल से किसान घाटे का सौदा कर रहे हैं। एक तरफ उसकी जोत कम हो रही है, दूसरी तरफ उत्पादन की लागत बढ़ रही है। लेकिन उन्हें उपज बेचने पर लागत भी नसीब नहीं होती है। हर सरकार किसानों की पीड़ा का जिक्र चुनाव प्रचार में तो करती है, लेकिन जीतने के बाद पांच साल के लिए किसानों को भूल जाती हैं। जहां कोरोना से...
More »टूटी हुई खाद्य प्रणाली और किसानों के लिए फ्री मार्केट का औचित्य?
-गांव कनेक्शन, "1980 के दशक में किसान प्रत्येक डॉलर में से 37 सेंट घर ले जाते थे। वहीं आज उन्हें हर डॉलर पर 15 सेंट से कम मिलते हैं," यह बात ओपन मार्केट इंस्टीट्यूट के निदेशक ऑस्टिन फ्रेरिक ने कंजर्वेटिव अमेरिकन में लिखी है। उन्होंने इस तथ्य के जरिये इशारा किया कि पिछले कुछ दशक में किसानों की आमदनी घटने की प्रमुख वजह चुनिंदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती आर्थिक ताकत है।...
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