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लेबर कोड के विरोध में ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी प्रदर्शन, जंतर-मंतर पर जलाई प्रतियां

-न्यूजक्लिक, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय मंच ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए लेबर कोडों के ख़िलाफ़ किया देशव्यापी विरोध प्रदर्शन। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आव्हान पर दिल्ली में भी एक अप्रैल को विवादित लेबर कोड और सरकारी और पब्लिक सेक्टर के निजीकरण, निगमीकरण, रोजगार व असंगठित श्रमिकों पर बढ़ते हमलों, कृषि कानूनों एवं महंगाई के खिलाफ जंतर मंतर नई दिल्ली पर विरोध प्रदर्शन किया और लेबर कोड़ों की...

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इंटरव्यू- यातना देते वक्त पुलिस ने कहा 'तुम दलित हो और उसी तरह बर्ताव करो': मजदूर नेता नौदीप

-आउटलुक, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के कुछ दिनों बाद, दलित श्रम अधिकार कार्यकर्ता नौदीप कौर ने आउटलुक से हिरासत में यातना और किसानों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ने के अपने संकल्प के बारे में बात की। पिछले महीने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हरियाणा पुलिस ने 24 वर्षीय युवती को हत्या और अन्य लोगों के साथ जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार किया था। साक्षात्कार के कुछ अंश: आपने...

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निजीकरण के लिए बैंक ऑफ इंडिया जैसे चार बैंकों का चयन: रिपोर्ट

-द वायर, केंद्र सरकार ने मध्यम आकार के सरकार संचालित चार बैंकों का निजीकरण करने के लिए चयन किया है. तीन सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. सरकार का यह कदम उसकी उस बड़ी योजना का हिस्सा है जिसके तहत वह सरकारी संपत्तियों को बेचकर राजस्व बढ़ाने की तैयारी कर रही है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, सरकार की भारी-भरकम हिस्सेदारी वाले इन बैंकों में सैंकड़ों-हजारों कर्मचारी काम करते हैं और बैंकिंग सेक्टर...

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पॉलिटिकली Incorrect: सिंघु बॉर्डर का लगातार उठता मंच और चढ़ता इक़बाल

-जनपथ, सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चे का जहां भव्य मंच है, 12 फुट की दो-दो एलईडी स्क्रीन लगी है और मंच से कुछ दूरी पर इसी तरह की अन्य स्क्रीन भी हैं। शाम पांच बजे तक यहां वक्ताओं की तस्वीरें दिखाई जाती हैं और अँधेरा होते ही वहां का नज़ारा ओपन थियेटर जैसा हो जाता है। यहां किसानों और सिख परम्परा से जुड़ी फ़िल्में दिखाई जाती हैं। आंदोलन के चढ़ाव...

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जेएनयू हिंसा: नौ महीने बाद कहां पहुंची जांच

-न्यूजलॉन्ड्री, “बहुत ही मायूसी है. जिस तरह से इस घटना से यूनिवर्सिटी का डेमोक्रेटिक स्पेस गिरा था, उसे यूनिवर्सिटी और प्रशासन ने वापस सही करने की कोशिश नहीं की. और फिलहाल तो हमें कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही क्योंकि बिना इनकी मिलीभगत के यूनिवर्सिटी में इतना कुछ होना संभव नहीं हैं. नौ महीने में 0.9 प्रतिशत भी केस आगे नहीं बढ़ा है.” जवाहर लाल नेहरू यानी जेएनयू के छात्रसंघ महासचिव...

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