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दिल्ली की बाढ़ एक मानव जनित त्रासदी

डाउन टू अर्थ, 18 जुलाई यह जान लेना आवश्यक है कि नदी पानी के लिए एक पाइप लाइन नहीं है। ना ही रेत बोल्डर जैसे निर्माण सामग्री उपलब्ध कराने की जगह है। और ना ही बोतलबंद पानी का स्रोत मात्र है। नदी एक जीवित प्रणाली है एवं इसके साथ उचित व्यवहार एवं आदर की आवश्यकता है। नदी के अलग-अलग व्यवहारिक क्षेत्र होते हैं- नदी चैनल- जो निरंतर बहाव में रहता है। तटवर्ती...

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असम में बाढ़ से स्थिति अब भी गंभीर, 4 लाख से अधिक लोग प्रभावित, हजारों हेक्टेयर फसल डूबी

 दिप्रिंट, 26 जून असम में बाढ़ से स्थिति भयावह हो गई है. असम के 15 जिलों के करीब 4 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार, बजाली, बक्सा, बारपेटा, दरांग, धुबरी, डिब्रूगढ़, गोलपारा, गोलाघाट, जोरहाट, कामरूप, लखीमपुर, नागांव, नलबाड़ी और तामुलपुर जिलों में 37 राजस्व मंडलों के अंतर्गत 874 गांव बाढ़ से प्रभावित है. अकेले बारपेटा जिले में 1.70 लाख लोग प्रभावित हुए हैं,...

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बिहार के 10 लाख लोगों को तबाही से बचाने के लिए जरूरी है, कोशी का समग्र विकास

जनचौक, 26 फरवरी\ कोशी नदी के दोनों तटबंधों के बीच निवास करने वाले करीब दस लाख लोगों की बदहाली के किस्से परत-दर-परत उजागर हुए। अवसर कोशी जन आयोग की रिपोर्ट को जारी करने के लिए हुए दो दिवसीय सम्मेलन का था। सम्मेलन में नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर के अलावा कई पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता व कोशी क्षेत्र के पीडित लोग शामिल हुए। सम्मेलन में कोशी क्षेत्र की समस्याओं को चिन्हित किया...

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बाढ़ को असम से इतनी मोहब्बत क्यों ?

हर बरस की बात है यहां. बारिश का सीजन आता है. बाढ़ की खबरें आती हैं. मौत के आंकड़े आते हैं और, अंत में ‘राहत की घोषणा’ होती है! घोषणा आते ही सरकार की वाहवाही शुरू हो जाती हैं. इस वाहवाही की गूंज के पीछे छिप जाती है आम लोगों की ‘चीत्कार’...ऐसी ही कहानी है ‘असम’ की. उत्तर–पूर्वी भारत का एक राज्य जो मई और जून के महीनों में बाढ़ से जूझता...

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गांव में अपराध: क्या सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से फर्क पड़ता है?

-गांव सवेरा, ग्रामीण भारत में गरीबी के उन्मूलन और आर्थिक विकास हेतु अच्छी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच होना महत्वपूर्ण है। यह लेख, भारत मानव विकास सर्वेक्षण (आईएचडीएस) के 2004-05 और 2011-12 के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए दर्शाता है कि पक्की सड़कों से जुड़े गांवों के परिवारों में अपराध, श्रम बल की भागीदारी और पारिवारिक आय के सन्दर्भ में उन गांवों में रहने वालों की तुलना में बेहतर परिणाम पाए गए...

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