-न्यूजक्लिक, पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने अन्य व्यवस्थाओं के साथ शिक्षा व्यवस्था को भी अस्त-व्यस्त कर दिया। सुखद है कि अब धीरे-धीरे शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। महामारी ने यूं तो सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को भी प्रभावित किया पर दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं का तो भविष्य ही दांव पर लग गया। इसमें हमारी जातिवादी और पितृसत्तावादी मानसिकता और उभर कर सामने आई। हाल ही में दलित आर्थिक अधिकार...
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यूपी: लिंचिंग, पुलिस की जाँच और इंसाफ़
-बीबीसी, साल 2015 की बात है, यूपी के दादरी में अख़लाक़ को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, ये गाय के नाम पर की गई मॉब लिंचिंग की संभवत: पहली घटना थी जो आने वाले वक्त में एक तयशुदा स्क्रिप्ट की तरह दोहराई जाने लगी. बीते छह साल में देश के कई राज्यों से एक-के-बाद एक लिंचिंग की ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं जिनमें मारे जाने वाले व्यक्ति की धार्मिक पहचान उसकी हत्या...
More »शाकाहारवाद महज़ आहार का मामला नहीं है…
-द वायर, ‘भविष्य की खोज’ – यही शीर्षक था उस दार्शनिक व्याख्यान का, जिसे जाने-माने ब्रिटिश लेखक जनाब एचजी वेल्स ने लंदन के रॉयल इंस्टिट्यूशन के सामने दिया था. (1902) आज के वक्त़ भले ही दुनिया उन्हें ज्यूल वर्न्स के साथ साइंस फिक्शन के जन्मदाता को तौर पर अधिक जानती हो, लेकिन अपने जमाने में वह प्रगतिशील सामाजिक आलोचक के तौर पर मशहूर थे और उन्होंने कई विधाओं में लेखन किया...
More »नरेन्द्र मोदी का विरोध लंदन में, "मोदी इस्तीफा दो" का बैनर लटकाकर मांगा मोदी का इस्तीफा
-कारवां, 15 अगस्त की सुबह ब्रिटेन के प्रवासी भारतीय के एक दल ने लंदन के वेस्टमिंस्टर ब्रिज में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस्तीफा की मांग वाला बैनर लटका कर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भारतीय उच्चायोग के बाहर मोमबत्तियां जलाकर मोदी शासन के पीड़ितों को याद किया. कार्यक्रम के आयोजकों में से एक दक्षिण एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप के मुक्ति शाह ने इस कार्रवाई के बारे में बताया कि “भारत अपना 75वां...
More »बिहार में दलितों के गांव भूप नगर में फ्लोराइड युक्त पानी से विकलांग होते लोग
-कारवां, देश की राजधानी दिल्ली जाने वाला नेशनल हाइवे-2 और बिहार के गया जिला के आमस प्रखंड मुख्यालय से दक्षिण की दिशा में महज पांच किलोमीटर की दूरी पर दलितों का भूप नगर गांव, जहां मुख्य रूप से मांझी और भोक्ता समाज के लोग रहते हैं, विकास की पहुंच से कोसो दूर दिखाई देता है. 22 वर्ष पूर्व यहां के लोगों को पता लगा कि समूचा गांव एक त्रासदी की चपेट में है,...
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