देश के हर चौराहे, चायखाने, पान की दुकान और शिक्षा परिसर में आजकल भारतीय लोकतंत्र के भविष्य पर चिंता जतायी जा रही है, नाना अटकलें लगायी जा रही हैं. और इन अटकलों का स्रोत मीडिया है, पारंपरिक या सोशल मीडिया. आजादी के सत्तर वर्षों बाद देश जनता को जागृत करनेवाली ताकत के रूप में मीडिया को पहचान रहा है, जिसके विमोचन के लिए गांधी जी ने ‘नवजीवन' नामक साप्ताहिक...
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नस्लवाद और गांधी का नजरिया- रामचंद्र गुहा
क्या मोहनदास करमचंद गांधी नस्लवादी थे? यह सवाल घाना में गांधी की प्रतिमा हटाने के कारण एक बार फिर से सुर्खियों में है। जिस याचिका के बाद मूर्ति हटाई गई, उसमें गांधी के कई बयानों का जिक्र किया गया था। हालांकि गांधी के ये बयान खासतौर से दक्षिण अफ्रीका में उनके शुरुआती दिनों के हैं। एक वयस्क परिपक्व गांधी अफ्रीका और अफ्रीकियों के संदर्भ में, नस्ल और नस्लवाद के बारे...
More »पीड़ितों को कमजोर करता कानून-- रुचिरा गुप्ता
मोदी सरकार ने एक और लिंगवादी कदम उठाते हुए लोकसभा से ट्रैफिकिंग ऑफ परसंस (प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) बिल, 2018 पारित करा लिया है, जो यौन शोषण हेतु मानव व्यापार (सेक्स ट्रैफिकिंग) के लाखों शिकारों को अपनी परिभाषा से बाहर रखते हुए मानवाधिकार के सिद्धांतों की अनदेखी तो करता ही है, भारत के अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्व का भी उल्लंघन करता है. अपने उद्देश्यों तथा औचित्य के बयान के अंतर्गत एक ओर...
More »मानव तस्करी को रोकना जरूरी-- क्रेग एल हॉल
क्तियों की तस्करी, जिसे मानव तस्करी या आधुनिक गुलामी के रूप में भी जाना जाता है, एक छिपा हुआ अपराध है, जो किसी सीमा का लिहाज नहीं करता और दुनियाभर के देशों में सभी पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित करता है. भारत और अमेरिका ने व्यक्तियों, खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की तस्करी को प्रतिबंधित, दमित और दंडित करने के प्रोटोकॉल को, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के...
More »भीमा कोरेगांव का प्रतीक-- अनुज लुगुन
दासता से मुक्ति के पूर्वज के रूप में स्पार्टाकस को याद किया जाता है. रोमन साम्राज्य की महानता के नीचे दासों की सिसकियां दबी हुई थी. गौरव, वैभव और विस्तार शासक की चाबुक और दासों की पीठ पर टिकी थी. यह ऐसी नृशंसता थी, जो लोगों को दिखती तो थी, लेकिन उन्हें पीड़ा के बजाय उससे सुख मिलता था. समाज, कानून और उसकी मान्यताएं 'ग्लैडिएटर' की मौत पर उत्सव मनाते थे....
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