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बढ़ती अशांति और भ्रांति से बेचैन - मृणाल पांडे

साल 2017 समाप्ति पर है, लेकिन नई सदी के उपजाए सरदर्द घट नहीं रहे। पाकिस्तान में हर दो-तीन महीनों के भीतर कट्टरपंथी गुट उदारवादी लोकतांत्रिक मूल्यों को मानव बम से उड़ा रहे हैं। म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्य जनता द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों को जबरन भेड़-बकरियों की तरह देश से बाहर हांक दिया गया है और वे हर पड़ोसी देश की सीमा पर बेघर बने डांय-डांय डोल रहे हैं। पहले से ही...

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हमारे पर्व और पर्यावरण-- रोहित कौशिक

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी, जो इकतीस अक्तूबर तक जारी रहेगी। हालांकि न्यायालय ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखे की बिक्री की इजाजत देने वाला उसका बारह सितंबर का आदेश एक नवंबर से प्रभावी होगा। दरअसल, धार्मिक पर्वों से संबंधित आस्था हमारे अंदर एक नए आत्मविश्वास का संचार कर जिंदगी के सफर को बिना अवरोध के आगे बढ़ाने में...

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इस धुंध को चीरना होगा- शशिशेखर

दिल्ली और उसके आसपास का इलाका इन दिनों प्रदूषण की अभूतपूर्व मार से ग्रस्त है। जिधर नजर डालिए, उधर धुंध की मटमैली चादर तले खांसते, कांपते और कांखते लोग मिल जाएंगे।   अपना एक निजी अनुभव आपसे शेयर करता हूं।  दीपावली को दोपहर के बाद से मैं जब भी अपने घर का दरवाजा खोलता, तो बेचैन हो उठता। सामने वाले फ्लैट में एक प्यारा शिशु रहता है। अभी उसे अपना पहला जन्मदिन मनाना...

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बाल श्रम, सरकार और समाज-- सुशील कुमार सिंह

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार बाल श्रम (प्रतिबंध और नियमन) संशोधन विधेयक-2012 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है। संभव है कि आने वाले शीत सत्र में इसे संसद के समक्ष पेश किया जाएगा। यह बदलाव 1986 के कानून को न केवल परिमार्जित करने से संबंधित है, बल्कि चौदह से अठारह वर्ष की उम्र के किशोरों के काम को लेकर नई परिभाषा भी गढ़ी जा रही है।...

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रोशन दिवाली उदास दिया- आर के सिन्हा

एक बार नोबेल पुरस्कार विजेता वीएस नायपाल बता रहे थे कि वे भारत में पहली बार 1961 में दिवाली की रात मुंबई पहुंचे। हवाई अड्डे से होटल के रास्ते में उन्हें यह देख कर निराशा हुई कि यहां ज्यादातर घरों के बाहर मोमबत्तियां सजी थीं। उनके देश त्रिनिदाद एवं टुबैगो में दिवाली पर अब भी मिट्टी के दीए जलाने की रिवाज है। नायपाल ठीक ही कह रहे थे। मोमबत्ती जला...

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