-बीबीसी, “पीपीई किट में काम करना , एक पॉलिथीन में पैक होकर काम करने जैसा है. आप ना कुछ खा सकते हो, ना बाथरूम जा सकते हो और इंफ़ेक्शन का ख़तरा अलग बना रहता है.” “माहवारी में पैड इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि वो बदल नहीं सकते इसलिए एडल्ट डायपर पहनना पड़ता है. यूटीआई से लेकर स्किन इंफ़ेक्शन तक से परेशान हैं.” दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में काम करने वाले...
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रेड जोन भोपाल में कोरोना पॉजिटिव निकली आशा की सुरक्षा को किया गया नजरअंदाज, अब बढ़ी दस लाख आशा कार्यकर्ताओं की चिंता
-गांव कनेक्शन, उन्नीस अप्रैल को सुबह 11 बजे उसे एक फोन आया कि आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। पॉजिटिव रिपोर्ट ... पर मुझे तो सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार कुछ भी तो नहीं है। आपने 17 अप्रैल को जो कोविड-19 की जांच कराई थी उसमें आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। आप तैयार रहिये, गाड़ी आपको लेने घर आ रही है। पर मुझे तो कुछ हुआ ही नहीं है ... नसरीन (बदला हुआ नाम) के इतना...
More »कभी घर-घर सर्वे, कभी थोड़ी जासूसी, कभी ढोलक की थाप: कौन हैं ये गुमनाम "कोरोना वॉरियर्स", महामारी से लड़ती हुई ये दस लाख की पैदल सेना ?
-गांव कनेक्शन, खबर पक्की थी। फोन गुपचुप आया था, "दीदी हमारे पड़ोस में बंबई से आये हैं।" उत्तर प्रदेश के अटेसुआ गाँव में शहर से वापस आये मजदूरों को कायदे से 14 दिन के लिए क्वारंटाइन होना था, लेकिन ग्राम प्रधान ने उनके तुरंत आने पर ऐसा नहीं करवाया था। गाँव की आशा कार्यकर्ता कुसुम सिंह (48) को पता था कि अगर प्रधान पर उन्होंने सीधे ऊँगली उठाई तो उनका विरोध...
More »कोरोना वायरस: किन हालात में काम कर रहे हैं भारतीय डॉक्टर
-बीबीसी, सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर ऐसे तमाम दावे लगातार किए जा रहे हैं कि स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट नहीं मिल रही है. लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट में काम करने वालीं शशि सिंह का वीडियो भी सोशल मीडिया पर हज़ारों लोगों ने शेयर किया है. इस वीडियो में वो शिकायत करती सुनी जा सकती हैं कि नर्सों को बेसिक ज़रूरी चीज़ें नहीं मिल रही हैं. "उनके पास एन95 मास्क नहीं...
More »न्याय:कितना दूर-कितना पास
खास बात • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।* • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...
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