-कारवां, फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में एक साल पहले महिला अधिकार संगठन पिंजरा तोड़ की सदस्य नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में दोनों को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है. कलिता और नरवाल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में क्रमशः महिला अध्ययन और ऐतिहासिक अध्ययन केंद्रों में डॉक्टरेट की छात्राएं हैं. वे 2019 के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम...
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IFPRI रिपोर्ट: सरकार को महामारी के दौरान पोषण सहायता, शिक्षा और नौकरियों के मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए!
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च, 2020 को किए गए देशव्यापी लॉकडाउन, जिसे लगभग दो महीने के लिए चरणों में बढ़ाया गया था, ने भारतीय आबादी के कमजोर वर्गों के भोजन और पोषण की स्थिति को प्रभावित किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-डे मील योजना जैसे कार्यक्रम से देश के प्राथमिक-विद्यालय आयु वर्ग के 80 प्रतिशत...
More »"हम नहीं लगवाएंगे ज़हर का टीका": राजस्थान के गांव में फैला कोरोना टीके का खौफ
-न्यूजलॉन्ड्री, अलवर के खुशीनगर गांव में लोगों के बीच बात फैली है कि जिन्हे पेंशन मिलती है केवल उन्हें ही टीका लगवाना है. इसे ढाल बनाकर गांव में लोग टीका नहीं लगवा रहे. 50 वर्षीय रतन वाल्मीकि कहते हैं, "हम टीका नहीं लगवाएंगे, हमें पेंशन नहीं मिलती है. गांव में उन्हीं लोगों का टीकाकरण हो रहा है जिनको सरकार की तरफ से कोई पैसा मिलता है." दरअसल, गांव में ये धारणा बनी...
More »जिस कंपनीराज के खिलाफ हमारे पुरखे लड़े थे, वही मोदी सरकार देश पर फिर थोपना चाहती है!
-जनपथ, कल 26 मई को किसान आंदोलन के 6 माह पूरे होने के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर विरोध दिवस (काला दिवस) मनाया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा देश के हर किसान तक आंदोलन के मुद्दों को पंहुचाने के लिए 21 मई से 26 मई तक फेसबुक लाइव किया जा रहा है। फेसबुक लाइव के आज पांचवें दिन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य...
More »शासकीय नैतिकता का आख़िरी झीना पर्दा भी जाता रहा
-सत्यहिंदी, जोसेफ स्टोरी की 200 साल पहले कही गयी बात सही साबित हो रही है। पार्टी में आ जाएँ तो सात खून माफ़ लेकिन सरकार के ख़िलाफ़ जाएँगे तो ‘देशद्रोह’। संदेश साफ़ है ‘पाला बदलो या सीबीआई को झेलो और जेल भोगो’। क्या इस सन्देश का तार्किक विस्तार यह नहीं हो सकता कि ‘हमारे ख़िलाफ़ होने का मतलब सीबीआई/ एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट या इनकम टैक्स की चाबुक झेलने को तैयार रहो। संविधान, क़ानून...
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