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बुंदेलखंड में कुपोषण की समस्या पर नीति निर्माताओं को जरूर ध्यान देना चाहिए!

हाल की मीडिया रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को लगभग रु. 6,300 करोड़ की परियोजनाओं की घोषणाएं की गई हैं, जिनमें झांसी में टैंक रोधी मिसाइलों के प्रणोदन प्रणाली के लिए 400 करोड़ रुपये का संयंत्र भी शामिल है. 18 नवंबर, 2021 को झांसी नोड (उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे से संबंधित) में पहली परियोजना के लिए नींव...

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मिलेट से होगा बच्चों का बेहतर विकास, कई लाइफस्टाइल बीमारियां रोकने में भी यह सक्षम

-रूरल वॉइस, मिलेट बच्चों और किशोरों के लिए नया स्मार्ट फूड बन सकता है। एक अध्ययन में पता चला है कि बच्चों और किशोरों के नियमित भोजन में चावल की जगह अगर मिलेट का इस्तेमाल किया जाए तो उनका विकास 26 से 39 फ़ीसदी ज्यादा होता है। इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि मिलेट (ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो जैसे मोटे अनाज) कुपोषण को दूर करने में भी काफी मददगार हो...

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पृथ्वी पर इंसानों की सिर्फ एक ही आवश्यक भूमिका है- वह है एक नम्र दृष्टिकोण की

-न्यूजक्लिक, हम जिस ग्रह पर रहते हैं, मैं आपको उसे देखने के एक वैकल्पिक तरीके से परिचित कराना चाहता हूँ। हम इसे पृथ्वी ग्रह कहते हैं, लेकिन वास्तविकता में इसे महासागर ग्रह कहा जाना चाहिए। इस ग्रह पर जीवन को संभव बनाये रखने के लिए जो तत्व बेहद महत्वपूर्ण है, वह है पानी। यह पानी का ग्रह है। हमें सिखाया गया है कि महासागर समुद्र से बनता है। हालाँकि, महासागर इससे...

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फुलवारी की सब्जी बाड़ी -बाबा मायाराम

हम अपनी फुलवारी में सब्जी बाड़ी व रंग-बिरंगे फूल लगाते हैं। इसमें कई तरह की हरी भाजियां, फल व सब्जियां होती हैं। बच्चों को हरी ताजी भाजियां खिचड़ी में पकाकर खिलाते हैं, जिससे बच्चों को पोषण मिलता है। अब इस पहल में महिला समूह, पालक और किसान जुड़ गए हैं। यह परमेश्वरी व शिवकुमारी थीं, जो बिलासपुर जिले के करहीकछार गांव में फुलवारी कार्यकर्ता हैं। फुलवारी एक तरह का झूलाघर है,...

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पंचतत्व: ये खलनायक हरियाली, जो हमारे जंगलों को चट कर रही है…

-जनपथ, साल 2017 की बात है जब कर्नाटक के गुंदुलुपेट-ऊटी मार्ग पर बांदीपुर नेशनल पार्क में करीब 715 वर्ग किलोमीटर जंगल जलकर स्वाहा हो गया था. वजह थी लैंटाना झाड़ी, जो समूचे जंगल में छा गयी थी. लैंटाना नाम शायद आपके लिए अपरिचित हो, पर इसकी झाड़ी से अपरिचित नहीं होंगे. झारखंड में हम लोग इसको पुटुस कहते हैं. लैंटाना अमूमन गर्मियों में सूख जाती है और बरसात में इसकी नयी पौध...

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