जन चौक, 28 जुलाई बिहार में सूखा जैसी हालत है। वर्षा बहुत कम हुई है। इसका सीधा असर धान की खेती पर पड़ा है। बहुत बड़े इलाके में रोपनी भी नहीं हुई। जहां नलकूप आदि की सहायता से रोपनी हो गई है, वहां भी वर्षा नहीं होने से फसल सूख जाने की आशंका है। ढंग से बरसात अभी शुरू ही नहीं हुई। जबकि मानसून का आगमन जून में ही हो गया। पर...
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खबरदार
खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...
More »आईएमडी की नई रिपोर्ट: 2021 में भीषण मौसम की वजह से 1,750 भारतीयों की मौत
इस साल जनवरी के महीने में दिल्ली-एनसीआर में शीतलहर जैसी स्थिति के कारण 100 से अधिक बेघर लोगों की मौत हो गई (कृपया यहां और यहां देखें). हालांकि दिल्ली स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) ने यह दावा किया, और इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री को सर्दियों के दौरान बेघर गरीबों के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए कहा. हालांकि, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार के अधिकारी बोर्ड...
More »सुपर फूड बनते मोटे अनाजों को थाली और खेत में वापस लाने की जरूरत
-गांव कनेक्शन, भारत दुनिया का सबसे बड़ा मिलेट (मोटे अनाज) उत्पादक देश है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखण्ड, तमिलनाडु, और तेलगांना आदि प्रमुख मोटे अनाज उत्पादक राज्य हैं। जबकि आसाम और बिहार में सबसे ज्यादा मोटे अनाजों की खपत होती है। देश में पैदा की जाने वाली मुख्य मिलेट फसलों में ज्वार, बाजरा और रागी का स्थान आता है। छोटी मिलेट फसलों में...
More »बिहार में जलवायु संकट से बढ़े हीट वेव से निपटने का बना एक्शन प्लान
-वाटर पोर्टल, बिहार में जलवायु संकट के कारण बढ़ रहे हीट वेव और वज्रपात को रोकने और उसका आकलन करने के लिए ‘मीडिया कलेक्टिव फॉर क्लाइमेट इन बिहार’ ने गैर सरकारी संस्था ‘असर’ के साथ मिलकर एक मीडिया रिपोर्ट जारी की है। इस 67 पन्ने की रिपोर्ट में जहां एक तरफ यह बताया गया है कि इस अध्ययन की जरूरत क्यों पड़ी तो वही दूसरी और जमीनी चुनौतियों पर भी चिंतन किया...
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