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कुप्रबंध की संस्कृति- हरिवंश

देश, वाचाल वृत्ति, बौद्धिक विलासिता, पर-उपदेश वगैरह की ‘लचर जीवन संस्कृति’ से नहीं चलता. आज के भारत में सरकार, राजनीति से लेकर समाज स्तर पर यही जीवन संस्कृति है. अमर्त्य सेन जिस ‘आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया’ (बहस में डूबे भारत) की बात करते हैं, उसे जमीन पर देखें-समझें तो बात ज्यादा स्पष्ट और साफ होती है. मूलत: हम बातूनी लोग हैं, बिना कर्म बात-बहस करनेवाले. किसी के बारे में कुछ भी टिप्पणी....

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कैंसर दवा पेटेंट मामले में नोवार्टिस मुकदमा हारी, 15 गुना सस्ती हो सकती है दवा

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने स्विस दवा कंपनी नोवार्टिस एजी की एक कैंसररोधी दवा के पेटेंट दावे को खारिज कर दिया। अदालत के फैसले की स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सराहना की। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक अहम फैसला देते हुए कैंसर की दवा ग्लिवेक (इमैटिनिब मेसिलेट) पर स्विस कंपनी नोवार्टिस एजी के पेटेंट का दावा खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि कंपनी पेटेंट की जांच पर खरी नहीं उतरी। न्यायमूर्ति आफताब...

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बीज में छिपी है खाद्य संप्रभुता- वंदना शिवा

यदि किसानों के पास अपना बीज न हो या मुक्त परागण किस्मों तक उनकी पहुंच न हों, जिसे वे सुरक्षित रख सकें या जिसका वे विनिमय कर सकें, तो उनके पास बीज संप्रभुता नहीं होगी। नतीजतन उनके पास खाद्य संप्रभुता भी नहीं होगी। गहराते कृषि एवं खाद्य संकट की जड़ें बीज आपूर्ति प्रणाली में हो रहे बदलाव और बीज विविधता व बीज संप्रभुता के क्षरण में निहित है। क्योंकि खाद्य...

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डरबन से क्या हासिल हुआ- अजय झा

जनसत्ता 20 दिसंबर, 2011: डरबन में जलवायु संकट पर अपने निश्चित समय से छत्तीस घंटे देर तक चली अंतरराष्ट्रीय शिखर वार्ता की सबसे खास बात यह थी कि किसी भी महत्त्वपूर्ण पहलू पर समझौता हुए बिना इसके परिणाम को एक बड़ी कामयाबी की तरह पेश किया गया। बकौल आयोजक और विकसित देश, समझौता अत्यधिक सफल रहा। मंत्री मशाबेन, जो कि वार्ता की अध्यक्ष थीं, ने पिछली अध्यक्ष मैक्सिको की पैट्रीशिया...

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कैसे हो जैव संपदाओं का संरक्षण- विष्णुदत्त नागर

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैव विविधता को संरक्षण देने के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से वर्ष 2010-11 को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष घोषित करने के बावजूद भारत की जैव संपदा को पश्चिमी देश लूट रहे हैं। हमारी सरकारों की उदासीनता पश्चिमी देशों का हौसला बढ़ा रही है। भारत समेत अन्य विकासशील देशों ने इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर आवाज उठाई और जैविक संपदा के संरक्षण और उपयोग के संबंध में अंतरराष्ट्रीय फ्रेमवर्क...

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