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बिहार: किशनगंज पर जलवायु परिवर्तन की मार, खेतों में ही जल जा रही हैं फसलें

जनचौक, 3 जुलाई नीति आयोग 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, किशनगंज बिहार का सबसे गरीब जिला है। जिसकी 64.75 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। उसके बाद कटिहार का नंबर आता है। वहीं जलवायु परिवर्तन से संबंधित ‘क्लाइमेट वल्नरेबिलिटी असेसमेंट फॉर एडाप्टेशन प्लानिंग इन इंडिया यूजिंग ए कॉमन फ्रेमवर्क’ के अनुसार भारत में जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक खतरा जिन 50 जिलों में हैं। उनमें से चौदह बिहार में...

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अन्य फसलों की तुलना में दालों की पैदावार लाभ दिखाने में विफल क्यों रही है

द वायर, 26 अप्रैल भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और आयातक भी. भारत बड़ी मात्रा में दालों और खाद्य तेलों का आयात करता है, जिनका घरेलू स्तर पर आसानी से उत्पादन किया जा सकता है. कम घरेलू उत्पादन के कारण दालों की आयात मात्रा 9.44 प्रतिशत बढ़कर फसल वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 27 लाख टन हो गई, जो 2020-21 में 24.66 लाख टन थी. अपर्याप्त आपूर्ति...

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यूपी और बिहार के गरीबों के बीच बढ़ता जा रहा है हानिकारक पैकेटबंद खाने का चलन: अध्ययन

जनपथ, 27 मार्च एक अध्ययन से पता चला है कि भारत के वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर लोग काफी मात्रा में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड का सेवन कर रहे हैं। एक ऐसे देश में जो कुपोषण के मामले में दुनिया के सबसे गंभीर दोहरे बोझ का सामना कर रहा है, सबसे कम आय वर्ग के लोग भूख का सामना करने से अस्वास्थ्यकर स्नैक्स पर निर्भर हैं। यह अध्ययन इस बात...

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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य

पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...

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ग्रामीण क्षेत्र के लिए कितना हितकारी है 2023-24 का बजट?

रूरल वॉइस, 24 फरवरी पिछले साल 2022-23 के लिए जब बजट पेश किया गया तो मैंने उसे जातिगत भेदभाव वाला बताया था। अगले वित्त वर्ष के लिए जो बजट पेश किया गया है, उसके प्रस्तावों पर गौर करें तो इसमें भी जातिगत भेदभाव झलकता है। तमाम मीडिया में नई स्कीम की घोषणाओं और पूंजी निर्माण के लिए अधिक आवंटन को ‘अमृत काल’ जैसे लुभावन शब्दों के रूप में पेश किया गया।...

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