राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। मेरा दृढ़ मत है कि इस देश की सही शिक्षा यह होगी कि स्त्री को अपने पति से भी 'न" कहने की कला सिखाई जाए। उसे यह बताया जाए कि अपने पति की कठपुतली या उसके हाथों में गुड़िया बनकर रहना उसके कर्तव्य का अंग नहीं है। उसके अपने अधिकार और कर्तव्य हैं...। गांधी ने यह विचार करीब 80 साल पहले व्यक्त किया था। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में...
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महिला सरपंचों की कठिन राह-- ऋतु सारस्वत
हाल में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने पचायती राज संस्थाओं की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों और प्रशिक्षकों के लिए सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा ‘प्रशिक्षण के बाद निर्वाचित महिला सरपंच गांव का प्रशासन पेशेवर तरीके से चलाने में सक्षम होंगी। यह खेदजनक है कि अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए कई महिला प्रतिनिधि सामने नहीं आतीं और अपने पतियों को आगे कर देती हैं। इससे वे नाममात्र की...
More »26 साल से बूंद-बूंद को तरस रहे महाराष्ट्र के इन 3 गांवों में डाली गई पाइपलाइन
महाराष्ट्र के पुणे जिले के मुलशी तालुका में साल 1990 में जब टेमघर बांध बना था तो इस जगह रहने वाले लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा था। उसके बाद से लेकर अब तक इस इलाके में कोई पानी की पाइपलाइन नहीं डाली गई। वेगारे, धनौरी और मंडवखड़क इलाके की महिलाओं को कुएं से पानी लाने के लिए 2-4 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। लेकिन 26 साल बाद यहां...
More »पंचायती राज से विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए-- नरेन्द्र सिंह तोमर
पंचायती राज व्यवस्था स्थानीय स्वशासन का एक विशिष्ट स्वरूप है। हमारे यहां पंच-परमेश्वर की अवधारणा रही है और हमारी संस्कृति में इसकी जड़ें काफी गहरी हैं। औपनिवेशिक शासन ने हालांकि इस पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम 1992 के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास की जमीन तैयार हुई। 24 अप्रैल को यह ऐतिहासिक संविधान संशोधन लागू हुआ...
More »खामियां बनीं सिरदर्द : हर दिन कमर तक पानी से गुजरते हैं 100 लोग
झाबुआ, ब्यूरो। शहर से 4 किमी दूर गांव नवागांव के तेरू फलिया में पानी की व्यवस्था के लिए कई साल पहले वाटरशेड मिशन से नाले पर बंधन किया गया। दो साल पहले जल संसाधन विभाग ने एक तालाब भी इसके पास बना दिया, लेकिन इस तालाब का वेस्टवियर ऊंचा था। अब फलिए के दोनों ओर से बहने वाले नाले भी तालाब में तब्दील हो गए। फलिए के लोगों के पास आने-जाने...
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