विज्ञान पत्रिका ‘नेचर जियोसाइंस' का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि सिंधु और गंगा नदी के मैदानी क्षेत्र का तकरीबन साठ फीसद भूजल प्रदूषित हो चुका है। उसका दावा है कि चार दक्षिण एशियाई देशों में फैले इस विशाल क्षेत्र का पानी न तो पीने योग्य बचा है और न ही सिंचाई योग्य। हालत यह है कि कहीं भूजल सीमा से अधिक खारा हो चुका है तो कहीं उसमें...
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खेती का खेल निराला मेरे भइया- राजेन्द्र तिवारी
देश के करीब 75 फीसदी परिवार कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं. देश की लगभग 70 प्रतिशत गरीब आबादी (विश्व बैंक के मुताबिक 77 करोड़ लोग) गांव में बसती है. लेकिन देश के जीडीपी में कृषि का हिस्सा लगातार गिरता जा रहा है. 50 के दशक में कृषि की हिस्सेदारी हमारी जीडीपी में 50 फीसदी से ज्यादा थी, 90 के दशक में यह 20 से 30 फीसदी रह गया और 2013-14...
More »छह नई तकनीकों से नहीं पड़ेगा जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव
एक्सक्लूसिव, रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए छह नई तकनीक ईजाद की है। कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि यदि इन तकनीकों का सही तरीके से इस्तेमाल किए जाए तो छत्तीसगढ़ में जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। इनमें भाटा (बंजर) भूमि विकास तकनीक, वर्षा जल संरक्षण के लिए डबरी तकनीक, उन्नत खुर्रा बोनी तकनीक, एकीकृत कृषि पद्धति तकनीक, सूखा रोधी...
More »बिना ईंधन के चलता है यह लिफ्ट एरीगेशन- उमेश यादव
भारतीय सेना से रिटायर्ड हजारीबाग के रहने वाले एक कर्नल ने जल प्रबंधन के लिए देसी पंप ईजाद किया है। यह एक ऐसा एरीगेशन सिस्टम है जिसमें बिना बिजली, डीजल, केरोसिन, पेट्रोल आदि ईंधन के पानी को पाइप के जरिये ऊपर पहुंचाया जाता है। जल प्रबंधन में कर्नल की इस नवीन खोज पर केंद्रित उमेश यादव की रिपोर्ट। पानी का संकट, महंगे पेट्रोल-डीजल और राज्य में बिजली की बदतर स्थिति झारखंड...
More »जहर की खेती कब तक
मानव स्वास्थ्य : कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से खाने-पीने के सामान हुए जहरीले यूरोप में भारतीय आम पर प्रतिबन्ध ने नीति निर्घारकों को सोचने का एक और मौका दिया है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के खिलाफ पत्रिका लम्बे समय से मुहिम चलाता रहा है। अनेक शोध और अध्ययन बताते रहे हैं कि खाने-पीने की चीजों में जहर फैलता जा रहा है। सरकार से लेकर आम उपभोक्ता तक सभी को...
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