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डाउन टू अर्थ खास: मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति जैसी गलती तो नहीं दोहरा रहे हैं हम!

डाउन टू अर्थ, 24 अप्रैल भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में दिए एक प्रस्ताव के आधार पर वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया गया है। वैश्विक स्तर पर मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते भारत इससे लाभान्वित हो सकता है। 1960 के दशक में हरित क्रांति के बाद से भारत ने गेहूं और धान पर ही ध्यान केन्द्रित कर दिया था। लेकिन, हाल के समय...

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सरकार ने ड्रोन से कीटनाशकों के छिड़काव के लिए फसल-विशिष्ट ‘एसओपी’ जारी किया

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार को ड्रोन के जरिये कीटनाशकों के छिड़काव के लिए फसल-विशिष्ट मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि मंत्री ने ‘‘मोटे अनाज के उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन के लिए मशीनरी’’ नामक एक पुस्तिका भी जारी की। तोमर ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक को स्वीकार किया गया है। …कृषि की लागत कम करने और कीटनाशकों...

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पी.वी. सतीश : लीक से हटकर लकीर खींचने वाले शख्स

बिना शोरगुल मचाए उसने काम किया। न काम का श्रेय लिया; बस अपने हिस्से का काम किया। और एक दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका जाना भी खामोशी की तहों में छिप गया। लेकिन, पहले भी उनका काम बोल रहा था और आज भी उनका काम बोल रहा है।  पी.वी. सतीश; पेरियापटना वेंकटसुब्बैया सतीश। आपकी पैदाइश सन् 1945 के जून महीने की है। जन्म, कर्नाटक के मैसूर जिले के खाते–पीते...

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झारखंड में बॉक्साइट खनन से बंजर होती आदिवासियों की कृषि भूमि, गिरता भूजल स्तर

मोंगाबे हिंदी, 11 अप्रैल झारखंड के गुमला जिले में नेतरहाट पठार पर स्थित डुंबरपाठ एक आदिवासी आबादी वाला गांव है। यह गांव चारों ओर से बॉक्साइट की खदानों से घिरा है, जहां भारी मात्रा में बॉक्साइट का खनन होता है। पिछले करीब 30 सालों से लगातार हो रहे खनन और अयस्क से भरे ट्रकों की आवाजाही से इस क्षेत्र की जमीन लगभग बंजर हो चुकी है, हवा में फैले धूलकण लोगों...

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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य

पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...

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