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दुनिया भर में खाद्य संकट से निपटने तथा बढ़ती कीमतों पर इस तरह लगाई जा सकती है लगाम: अध्ययन

 डाउन टू अर्थ, 23 नवम्बर वैश्विक खाद्य प्रणाली ने हाल के वर्षों में कई अभूतपूर्व खतरों और आपूर्ति की रुकावटों का सामना किया है, जिसमें कोविड-19, टिड्डियों का आक्रमण और चरम मौसम की घटनाएं शामिल हैं। कोविड-19 से पहले ही खाद्य प्रणाली दबाव में है और खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है, रूस-यूक्रेन युद्ध ने एक और झटका दिया, जिसके कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छूने लगी। अब शोधकर्ताओं के खाद्य संकट...

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यूक्रेन संकट: रूस पर बाइडन के प्रतिबंध से बढ़ने वाली महंगाई को लेकर भारत को सचेत रहना होगा

-द वायर, काफी बहस के बाद अमेरिका ने आखिरकार बड़ा फैसला लेते हुए कुछ प्रमुख रूसी बैंकों को स्विफ्ट (सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन) मैसेजिंग सिस्टम से बाहर कर दिया. स्विफ्ट 200 से ज्यादा देशों के 11,000 से ज्यादा बैंकों को एक साझा लेनदेन सूचना प्लेटफॉर्म से जोड़ता है. यह शायद आज तक के इतिहास में रूस पर लगाया गया सबसे कठोर आर्थिक प्रतिबंध है. इस सिस्टम से बाहर निकाले जाने से...

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भारत को डब्ल्यूटीओ की दोषपूर्ण सब्सिडी व्यवस्था को जल्द चुनौती देने की जरूरत

-रूरल वॉइस, भारतीय किसानों ने अपने हक़ के लिए लंबा संषर्ष कर विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने पर सरकार को मज़बूर किया है और साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। अब इसी बीच गन्ने और चीनी पर किसानों को दी जा रही सब्सिडी पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने भारत को दोषी ठहराया है।  विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के डिस्प्यूट सेटलमेंट पैनल ने गन्ने...

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कॉप-26: सौ महीने से कम समय बाकी, इन वजहों से हो सकती है नतीजे मिलने में दिक्कत

-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (कॉप-26) के तहत 31 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच चलने वाला 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन अपनी निर्धारित समय-सीमा से एक दिन आगे तक चला। वैश्विक जलवायु संकट से निपटने को अपने प्रयासों मे तेजी लाने के लिए अंततः इसमें ग्लासगो जलवायु समझौता (जीसीपी ) पर सहमति बनी। अंतिम सत्र में 197 देशों द्वारा तैयार जीसीपी में जिन सिद्धांतों का...

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कॉप-26: भारत में 25 गुना तक बढ़ जाएगा लू का कहर!

-न्यूजलॉन्ड्री, जी20 देशों पर जारी एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कार्बन उत्सर्जन तेजी से बढ़ता रहा तो सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है. जिसके चलते 2036 से 2065 के बीच भारत में लू का कहर कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा. अनुमान है कि इसके सामान्य से 25 गुना अधिक समय तक रहने की आशंका है. इस रिपोर्ट को...

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