वादे की शक्ल में एक बड़ी बात 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले सामने आ चुकी है- राहुल गांधी ने न्यूनतम आय गारंटी की बात कही है. अभी तक चुनावी माहौल खोखली और शोरगुल से भरी टकराहटों के मार्फत बनता दिख रहा था- पिछले कुछ सालों में हम ऐसी टकराहटों के साक्षी बने हैं. याद करें: ऐन आखिर के लम्हे को वह चतुर-बौराहट भरी पहलकदमी जिसमें गरीब अगड़ी जातियों को...
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भारतीय अर्थव्यवस्था को इकॉनॉर्मिक्स की ज़रूरत, न कि वामपंथ बनाम दक्षिणपंथ- योगेन्द्र यादव
हाल-फिलहाल मेरी नज़र से एक दस्तावेज़ गुज़रा और मन उसी पर अटक गया- लगा कि इसे तो मैं एक वक्त से खोज रहा था. यहां सुविधा के लिए हम उस दस्तावेज़ का नाम ‘इको-नॉर्मिक्स' रख लेते हैं, क्योंकि एक तो इसमें ‘इकॉनॉमिक्स' यानि अर्थशास्त्र की छाया है और ‘इको' और ‘नार्मस्' से यह भी संकेत मिल जाता है कि बात यहां प्रकृति-परिवेश और उससे जुड़े मान-मूल्यों की हो रही है....
More »क्या किसान-आंदोलन अब देश की राजनीति का मुख्य कथानक बन चला है?- योगेन्द्र यादव
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के झंडे तले देश के कोने-कोने से हज़ारों हज़ार की तादाद में किसान दिल्ली आ डटे थे. एआईकेएससीसी 200 से ज़्यादा किसान-संगठनों का एक समवेत मंच है. ये पहला मौका था जब मीडिया ने सड़क-जाम या फिर कानून-व्यवस्था का मसला कहकर कन्नी नहीं काटी बल्कि किसान-रैली को सही में किसान-रैली कहकर ही लोगों को बताया-दिखाया. दोपहर बाद का सत्र राजनीतिक दलों के लिए...
More »मोदी राज में किसान: डबल आमद या डबल आफत?
खेती-किसानी के मोर्चे पर केंद्र सरकार ने गुजरे चार सालों में क्या कुछ किया है, उसपर आप महज एक घंटे में राय बनाना चाहते हैं तो फिर यह पुस्तक आप ही के लिए है.(पुस्तक आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं) किसानी के मोर्चे पर केंद्र सरकार के हासिल-लाहासिल को परखने के तीन रास्ते हो सकते हैं. एक तो सरकार के वादों को परखना कि वे किस हद तक पूरे हैं. दूसरे, सरकार के दावों...
More »किसानों के प्रति उदासीनता- योगेन्द्र यादव
बीसवीं सदी के किसान नेता दीनबंधु चौधरी छोटू राम ने किसान को कहा था: 'ए भोले किसान, मेरी दो बात मान लें- एक बोलना सीख और एक दुश्मन को पहचान ले'. लगता है सौ साल बाद भारत के किसान ने उनकी बात सुन ली है. आज देशभर से 200 से अधिक किसान संगठन 'किसान मुक्ति मार्च' लेकर दिल्ली पहुंच रहे हैं. इस मार्च के जरिये किसान बोलना सीख रहे हैं....
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