द वायर , 5 अप्रैल गुजरात सरकार ने राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के ‘अतिरिक्त’ राशन कार्डों को रद्द करने का आदेश पारित किया है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के बिना उठाया गया था. ‘अतिरिक्त’ राशन कार्डों को रद्द करने का आदेश 80,000 से अधिक आदिवासी परिवारों के पांच लाख से अधिक लोगों को उनके भोजन के मूल अधिकार से वंचित...
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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य
पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...
More »नीति आयोग ने सरकार पर पीडीएस के निजीकरण, फ्री राशन का दायरा व सब्सिडी कम करने का दबाव बनाया
द वायर, 10 फरवरी 1 फरवरी को पेश किए गए केंद्रीय बजट में गरीबों के लिए खाद्यान्न सब्सिडी में 63 फीसदी की भारी कटौती की गई. इस खर्च को कम करने के मकसद को हासिल करने के लिए सरकार ने दिसंबर, 2022 में कोविड के समय में शुरू की गई सभी के लिए मुफ्त भोजन की योजना को समाप्त कर दिया और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दूसरी योजनाओं में...
More »भूख की वजह से छूट रही श्रीलंकाई बच्चों की पढ़ाई
डीडब्ल्यू हिंदी, 20 जनवरी श्रीलंका के सबसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के समीप बसे उपनगर काटुनायके में रहने वाली कपड़ा फैक्ट्री की कर्मचारी नादिका प्रियदर्शनी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रही हैं. इसके पीछे की वजह है भूख. उनकी माली हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वे अपने परिवार के लिए दोनों समय के भोजन का इंतजाम तक नहीं कर पा रही हैं. देश में बढ़ते आर्थिक संकट की वजह...
More »आवरण कथा: राशन से वंचित हैं 15 करोड़ लोग, क्या है सरकार की मंशा
डाउन टू अर्थ, 19 जनवरी देश की राजधानी से लगभग 1,200 किलोमीटर दूर झारखंड के एक गांव में रह रही अनार देवी के एक-एक शब्द पर गौर कीजिए, “मेरे पांच बेटे हैं। सब एक-एक करके बाहर शहरों में चले गए। गांव में रह कर करते भी क्या? भूखे मर जाते! इसलिए उनके जाने का दुख नहीं होता। वे अपने बच्चों को शहरों में किसी तरह पाल रहे हैं और हम यहां...
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