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दो रुपए की बचत ने छीन ली 43 लोगों की आंख की रोशनी

संदीप चंसौरिया/शशिकांत तिवारी, भोपाल। बड़वानी में जिस संक्रमित आईवी फ्लूड के कारण 43 लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई, वह बीएफएस (ब्लो फिल्ड शील्ड) प्लास्टिक की बॉटल में भरा होता है। इस बॉटल की कीमत आठ रुपए है, जबकि इससे महज 2 रुपए महंगी 10 रुपए की एफएफएस (फॉर्म फिल्ड शील्ड) में भरे आईवी फ्लूड के संक्रमिक होने का खतरा कई गुना कम हो जाता है। बड़वानी घटना की...

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मुनाफे का बढ़ता रोग- अरविन्द कुमार सेन

जनसत्ता 25 अक्टुबर, 2012: जीवनरक्षक दवाओं तक देश के नागरिकों की पहुंच सुनिश्चित करके बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना संवैधानिक दायित्व है और यह लक्ष्य हर मुनाफे से परे है। मद्रास उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी भारत सरकार बनाम नोवार्तिस मामले में की थी। स्विट्जरलैंड की नोवार्तिस दुनिया की पांचवीं बड़ी दवा निर्माता कंपनी है और इसने भारतीय पेटेंट कानून में बदलाव के मसले पर सरकार पर मुकदमा कर रखा...

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सोनकब्र!- हिमांशु वाजपेयी की रिपोर्ट(तहलका ,हिन्दी)

उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले के कई गांव एक महीने के भीतर 100 से भी ज्यादा बच्चों की मौत देख चुके हैं, लेकिन शासन यह मानने के लिए तैयार नहीं. और जाहिर सी बात है कि जब मानेगा ही नहीं तो कुछ करेगा भी क्यों? हिमांशु बाजपेयी की रिपोर्ट सोनभद्र में हालात उससे कहीं ज्यादा बुरे हैं जितना सोचकर आप लखनऊ या दिल्ली से यहां आते हैं. महज कुछ घंटे यहां गुजारने...

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पांव पसारतीं गैर-संचारी बीमारियां

नई दिल्ली [अरविंद जयतिलक]। पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा लोगों के स्वस्थ जीवन शैली में सुधार लाने के लिए एक व्यापक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। इस समझौते का मकसद गैर संचारी रोगों के जोखिम को कम करना है। गौरतलब है कि संपूर्ण विश्व में गैर संचारी रोगों का प्रभाव तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को मानें तो...

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सवाल सेहत का

   खास बात •    सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** •    अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** •    तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** •    सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...

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