-आइडियाज फॉर इंडिया, राजनीतिक वरीयताओं को तय करने में सूचना स्रोतों की क्या भूमिका होती है, और किन परिस्थितियों में महिलाएं अपनी राजनीतिक राय बनाने के लिए पुरुषों से अलग संज्ञानात्मक सोच रखती हैं? इसका पता लगाने हेतु, उत्तर भारत के दो शहरी समूहों के किये गए सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए, यह लेख दर्शाता है कि रोजगार या अन्य गतिविधियों के माध्यम से घर के बाहर के महिलाओं के नेटवर्क का...
More »SEARCH RESULT
अधिक बच्चे पैदा करने की शक्तियों जैसे जुमलों से गुमराह होने वाले मतदाताओं को इससे संबंधित आधिकारिक डेटा जरूरी देखने चाहिए!
अन्य धार्मिक समुदायों के पुरुषों की तुलना में मुस्लिम पुरुषों द्वारा बच्चे पैदा करने को अक्सर एक राजनैतिक प्रोपैगेंडा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और चुनाव से ठीक पहले भारतीय बहुसंख्यक हिंदुओं से वोट प्राप्त करने के लिए एक विभाजनकारी प्रोपैगेंडा बनाया जाता है. मानव विकास, रोजगार सृजन, और गरीबी में कमी जैसे सकारात्मक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक अभियान अक्सर...
More »कोविड-19 लॉकडाउन: सरकार द्वारा जीडीपी में काफ़ी ज़्यादा वृद्धि का भ्रम फैलाया जा रहा है
-द वायर, विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा है कि अप्रैल-जून 2021 के दौरान भारत की जीडीपी में 20.1 फीसदी की वृद्धि ‘चौंकाने वाली बुरी खबर’ है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी प्रचार मशीनरी इसे बड़े आर्थिक सुधार के रूप में दिखा रही है. आखिर क्यों एक ही आंकड़े का एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न मतलब निकाला जा रहा है? बसु ने इसे सरल शब्दों में बताया है. दरअसल अप्रैल-जून...
More »नवीनतम पीएलएफएस डेटा, विभिन्न प्रकार के श्रमिकों के बीच अल्प-रोजगार और स्वपोषित रोजगार में अवैतनिक सहायकों पर प्रकाश डालता है
आम तौर पर, अर्थशास्त्री एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एक विशेष अवधि में बेरोजगारी और काम से संबंधित अनिश्चितता की सीमा का आकलन करने के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे संकेतकों का उल्लेख करते हैं. हालांकि, अन्य संकेतक भी हैं, जो रोजगार की स्थिति, आजीविका सुरक्षा और श्रमिकों की बदत्तर स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते...
More »मनरेगा का उद्देश्य कभी नहीं रहा कि मजदूरों का जातीय आधार पर वर्गीकरण हो: ज्यां द्रेज
-डाउन टू अर्थ, केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले मनरेगा भुगतान की प्रक्रिया में संशोधन किया है, जिसके चलते राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में मनरेगा मजदूरों को मजदूरी मिलने में काफी देरी हुई। यह देरी ऐसे समय में हुई जब कोविड-19 की दूसरी लहर देशभर में कहर ढा रही थी। डाउन टू अर्थ ने पिछले दो हफ्ते के दौरान देश के सबसे अधिक आबादी वाले पांच राज्यों में चल रहे...
More »