SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 12

महिलाओं का सतत विकास--- डॉ सय्यद मुबीन जेहरा

लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्य के केंद्र में मानवता का विकास छुपा है. लोकतंत्र किसी एक की सत्ता नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है सत्ता में सब का योगदान और सभी का विकास. इसलिए जब हालिया सरकार ने सबका साथ सबका विकास की बात की, तो इसे कुछ लोग अलग-अलग सामाजिक ताने-बाने के अनुसार परखने और प्रचारित करने में लगे. लोकतंत्र एक छोटा-सा शब्द भर नहीं है, बल्कि यह एक...

More »

अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार का घुन-- अरविन्द कुमार सिंह

दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में पिछड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब यहां भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानूनों से लैस तमाम एजेंसियां हैं और नागरिक समाज आंदोलित है। वैसे तो भ्रष्टाचार ने पूरी दुनिया को गिरफ्त में ले रखा है, लेकिन अगर भारत की बात करें तो जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला न...

More »

शिक्षा में संवैधानिक मूल्यों से पलायन-- बीरेन्द्र सिंह रावत/फिरोज अहमद/मनोज चाहिल

नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अवकाश-प्राप्त कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यन की अध्यक्षता में जो पांच सदस्यीय समिति 31 अक्टूबर 2015 को गठित की गई थी, उसने 30 अप्रैल 2016 को दो सौ तीस पृष्ठों की एक रपट मंत्रालय को सौंपी। यह एक राज ही रहा कि सरकार ने आखिर क्यों उस रपट को सार्वजनिक नहीं किया, जबकि उसकी विषयवस्तु न सिर्फ गोपनीय नहीं...

More »

मनमानी फीस वसूलने वाले निजी स्कूलों के खातों की जांच शुरू

मनमानी फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों के खातों की सरकार ने जांच शुरू कर दी है। अर्नेस्ट एंड यंग फाउंडेशन संस्था के अंतर्गत सूचीबद्ध चार्टर्ड एकाउंटेंसी फर्म इस जांच का काम पूरा करके अगस्त के दूसरे सप्ताह में दिल्ली सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। मंगलवार को चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शिक्षा दिल्ली सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है...

More »

हीरा-मन हाट हेराया-- अश्विनी भटनागर

पच्चीस साल पहले बाजार खुला था। प्रधानमंत्री नरसिंह राव और वित्तमंत्री मनमोहन सिंह की उदार नीति के तहत यह नई संरचना बनी थी। उससे पहले हाट लगा करती थी। हर हफ्ते या फिर बड़ी जगहों में हफ्ते में दो बार। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पड़ोस में पंसारी था या फेरीवाले। हफ्ते की हाट में खरीद-फरोख्त तो होती ही थी, साथ में गपशप भी हो जाती थी। विक्रेता ग्राहक को...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close