-कारवां, अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर होने के साथ एक मानव अधिकार कार्यकर्ता भी हैं. उन्होंने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार के तहत हिंदुत्व के उभार पर बेबाकी से लिखा और बोला है. पिछले साल दिसंबर में जब नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजिका के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे थे तो अपूर्वानंद ने इस कानून के खिलाफ निरंतर आवाज उठाई. साथ ही वह...
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देश की औरतें जब बोलती हैं तो शहर-शहर शाहीन बाग हो जाते हैं
शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को एक महीने से ज़्यादा वक्त बीच चुका है। इस बीच दिल्ली के पारे का रिकॉर्ड कई बार टूटा, सत्ता का दमनचक्र कई बार आक्रामक हुआ, आंदोलन को भटकाने की कई बार कोशिश की गई, मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, दिल्ली के एक वर्ग को एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून से अधिक परेशानी ट्रैफिक से होने लगी लेकिन शाहीन बाग की औरतें आज भी डटी...
More »अगली सरकार की बड़ी चुनौतियां -- अनिल गुप्ता
इस समय जब लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया लगभग खत्म होने को है, तब अनेक मंत्रालयों को उन कार्यों की सूची बनाने के लिए कहा जाना चाहिए, जिनको भावी सरकार द्वारा पहले 100 दिनों में शुरू या पूरा कर लेना चाहिए। जो भी सरकार केंद्र की सत्ता में आए, उसे यह दिखाना होगा कि सामाजिक प्रभाव उसकी प्राथमिकता है। हम अभी मई के महीने में हैं और जून की शुरुआत या...
More »आजाद मीडिया के पक्ष में तर्क-- मृणाल पांडे
देश के हर चौराहे, चायखाने, पान की दुकान और शिक्षा परिसर में आजकल भारतीय लोकतंत्र के भविष्य पर चिंता जतायी जा रही है, नाना अटकलें लगायी जा रही हैं. और इन अटकलों का स्रोत मीडिया है, पारंपरिक या सोशल मीडिया. आजादी के सत्तर वर्षों बाद देश जनता को जागृत करनेवाली ताकत के रूप में मीडिया को पहचान रहा है, जिसके विमोचन के लिए गांधी जी ने ‘नवजीवन' नामक साप्ताहिक...
More »सीबीआई संकट का सच-- शशिशेखर
सुप्रीम कोर्ट ने कभी केंद्रीय जांच ब्यूरो, यानी सीबीआई पर तंज कसा था कि यह पिंजरे में बंद तोता है। क्या पता था कि कोर्ट द्वारा विभूषित इस ‘पिंजरे' में आपसी टकराहटों की आवाजें इतनी मुखर हो जाएंगी कि तमाशे के प्रमुख किरदार खुद तमाशा बन जाएंगे। देश की इस सर्वोच्च जांच एजेंसी के शीर्षस्थ दो अधिकारियों में लड़ाई के बाद का घटनाक्रम खासा दुर्भाग्यपूर्ण है। यह पहला मौका है, जब...
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